नई दिल्ली। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) यानी पीएमएवाई(यू) के तहत केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति (सीएसएमसी) की 48 वीं बैठक में 3,473 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता सहित 7,322 करोड़ रुपये के समग्र निवेश के साथ 2,31,532 मकानों के निर्माण के लिए प्रतिभागी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 371 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। इस बैठक की अध्यक्षता आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने की। इस योजना के तहत स्वीकृत मकानों की कुल संख्या अब 93 लाख से भी अधिक हो गई है।
कुल सात राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों यथा आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, मध्य प्रदेश, नगालैंड, पुडुचेरी और उत्तर प्रदेश ने सीएसएमसी बैठक में भाग लिया। सात राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए स्वीकृत मकानों की संख्या कुछ इस तरह से है: आंध्र प्रदेश-1,24,624 घर, असम -16,002 घर, बिहार -15,049 घर, मध्य प्रदेश -18,362 घर, नगालैंड-3,238 घर, पुडुचेरी -1,811 घर और उत्तर प्रदेश -52,446 घर। आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश ने क्रमशः 13.78 लाख और 15 लाख घरों की अपनी शहरी आवास मांग का लगभग 100 प्रतिशत हासिल कर लिया है।
उत्तर प्रदेश में काफी देरी से मार्च 2017 के बाद ही इस दिशा में तेजी आई। उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 14.50 लाख मकानों के लिए मंजूरी दी गई है। उत्तर प्रदेश मकानों को समग्र मंजूरी के साथ-साथ ‘लाभार्थी की अगुवाई में निर्माण योजना’ के तहत स्वीकृत घरों के मामले में भी स्पष्ट रूप से सबसे आगे है। यह आंकड़ा वर्तमान में 12.56 लाख घर है। यही नहीं, उत्तर प्रदेश तो क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) के मामले में भी उत्तरी राज्यों में अग्रणी है जो प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का एक ब्याज सब्सिडी घटक है।
प्रस्ताव इस योजना के ‘लाभार्थी की अगुवाई में निर्माण या संवर्धन (बीएलसी)’ और ‘किफायती आवास परियोजना (एएचपी)’ घटकों के अंतर्गत प्राप्त हुए हैं। इन मकानों का निर्माण नई और अभिनव तकनीकों का उपयोग करके किया जाएगा, जैसा कि नगालैंड पर्यावरण-अनुकूल और भूकंप-रोधी घरों का उपयोग कर रहा है। घरों की इस श्रेणी में जिस-जिस सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है उनमें बांस, छप्पर, घास इत्यादि शामिल हैं। इतना ही नहीं, इसके अंतर्गत छत भी इसी तरह की सामग्री से तैयार की जाती है जो वजन में काफी हल्की होती है।
अब तक पीएमएवाई(यू) मिशन ने 1.12 करोड़ मकानों की सत्यापित मांग के सापेक्ष पीएमएवाई(यू) के तहत 93 लाख से भी अधिक मकानों को मंजूरी देने का लक्ष्य हासिल कर लिया है। निर्माण के लिए कुल 55 लाख मकानों की नींव रखी गई है जिनमें से 28 लाख से भी अधिक मकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि स्वीकृत मकानों में निवेश 5.56 लाख करोड़ रुपये का है जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश के रूप में 2.82 लाख करोड़ रुपये और निजी क्षेत्र की ओर से 2.74 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं। 1.46 लाख करोड़ रुपये की स्वीकृत केंद्रीय सहायता में से अब तक कुल 57,896 करोड़ रुपये राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किए जा चुके हैं।
स्वीकृत मकानों की कुल संख्या अब 93 लाख से भी अधिक हो गई है
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) यानी पीएमएवाई(यू) के तहत केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति (सीएसएमसी) की 48 वीं बैठक में 3,473 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता सहित 7,322 करोड़ रुपये के समग्र निवेश के साथ 2,31,532 मकानों के निर्माण के लिए प्रतिभागी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 371 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। इस बैठक की अध्यक्षता आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने की। इस योजना के तहत स्वीकृत मकानों की कुल संख्या अब 93 लाख से भी अधिक हो गई है।
कुल सात राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों यथा आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, मध्य प्रदेश, नगालैंड, पुडुचेरी और उत्तर प्रदेश ने सीएसएमसी बैठक में भाग लिया। सात राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए स्वीकृत मकानों की संख्या कुछ इस तरह से है: आंध्र प्रदेश-1,24,624 घर, असम -16,002 घर, बिहार -15,049 घर, मध्य प्रदेश -18,362 घर, नगालैंड-3,238 घर, पुडुचेरी -1,811 घर और उत्तर प्रदेश -52,446 घर। आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश ने क्रमशः 13.78 लाख और 15 लाख घरों की अपनी शहरी आवास मांग का लगभग 100 प्रतिशत हासिल कर लिया है।
उत्तर प्रदेश में काफी देरी से मार्च 2017 के बाद ही इस दिशा में तेजी आई। उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 14.50 लाख मकानों के लिए मंजूरी दी गई है। उत्तर प्रदेश मकानों को समग्र मंजूरी के साथ-साथ ‘लाभार्थी की अगुवाई में निर्माण योजना’ के तहत स्वीकृत घरों के मामले में भी स्पष्ट रूप से सबसे आगे है। यह आंकड़ा वर्तमान में 12.56 लाख घर है। यही नहीं, उत्तर प्रदेश तो क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) के मामले में भी उत्तरी राज्यों में अग्रणी है जो प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का एक ब्याज सब्सिडी घटक है।
प्रस्ताव इस योजना के ‘लाभार्थी की अगुवाई में निर्माण या संवर्धन (बीएलसी)’ और ‘किफायती आवास परियोजना (एएचपी)’ घटकों के अंतर्गत प्राप्त हुए हैं। इन मकानों का निर्माण नई और अभिनव तकनीकों का उपयोग करके किया जाएगा, जैसा कि नगालैंड पर्यावरण-अनुकूल और भूकंप-रोधी घरों का उपयोग कर रहा है। घरों की इस श्रेणी में जिस-जिस सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है उनमें बांस, छप्पर, घास इत्यादि शामिल हैं। इतना ही नहीं, इसके अंतर्गत छत भी इसी तरह की सामग्री से तैयार की जाती है जो वजन में काफी हल्की होती है।
अब तक पीएमएवाई(यू) मिशन ने 1.12 करोड़ मकानों की सत्यापित मांग के सापेक्ष पीएमएवाई(यू) के तहत 93 लाख से भी अधिक मकानों को मंजूरी देने का लक्ष्य हासिल कर लिया है। निर्माण के लिए कुल 55 लाख मकानों की नींव रखी गई है जिनमें से 28 लाख से भी अधिक मकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि स्वीकृत मकानों में निवेश 5.56 लाख करोड़ रुपये का है जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश के रूप में 2.82 लाख करोड़ रुपये और निजी क्षेत्र की ओर से 2.74 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं। 1.46 लाख करोड़ रुपये की स्वीकृत केंद्रीय सहायता में से अब तक कुल 57,896 करोड़ रुपये राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किए जा चुके हैं।