कैलाश विश्वकर्मा। पीईबी जो मध्यप्रदेश में ही नहीं पूरे विश्व में बहुचर्चित है। जिसमें गलतियों का खजाना है इसी के चलते शिक्षक भर्ती में पीईबी की गलती के कारण परीक्षा में बैठे परीक्षाथियों जो सफल थे परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद असफल हो गये और यह गलती पीईबी के कारण ही हुई क्योकि पीइबी ने निरस्त प्रश्नों पर आनुपातिक बोनस अंक दिये जो सरासर अन्यया है।
आनुपातिक अंक देने से जो परीक्षा कक्ष में कम्प्यूटर स्क्रीन देखकर पास थे वह आज असफल की हो गये। बैसे भी लंम्बे इंतजार के बाद शिक्षक भर्ती परीक्षा का विज्ञापन आया था। अब न जाने कितने वर्ष बाद परीक्षा होगी यह परीक्षा ही तो सात साल बाद हुई है और जब परीक्षा दिये थे तब पास होने की खुशी थी पर प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड की मनमानी नियमावली जो आनुपातिक आधार पर है जो वास्तव में परीक्षाथियों के भविष्य को दांब पर लगा रही है अब उनका जीवन बर्बाद होने की कगार पर आ गया है।
इस आनुपातिक प्रणाली से जो प्रश्न निरस्त हुये उन्हें कुल निरस्त प्रश्नों का बोनस अंक देना चाहिये पर पीईबी ने ऐसा नहीं किया और आनुपातिक अंक का फार्मूला लगाकर सभी को चुप करा दिया जबकि गलती पीईबी की है। जो प्रश्न निरस्त किये गये हो सकता है वह प्रश्न सही पूछे जाते तो परीक्षार्थी पूरे प्रश्नों के जबाब सही सही दे देते और उनके पूरे अंक मिलते।
पर प्रश्न की बनाबट गलत होने से परीक्षाथियों ने पूरा समय गलत प्रश्नों को समझने में ही लगा दिया जिससे अन्य प्रश्नों के लिये समय कम बचा और पीईबी इस पर भी आनुपातिक अंक दे रही है जो परीक्षाथियेां के हित में नहीं है जबकि बोर्ड को परीक्षाथियों के हित में सोचना चाहिये और निरस्त प्रश्नों के कुल बोनस अंक देना चाहिये और पुन संशोधित कर उच्च माध्यमिक शिक्षक परीक्षा परिणाम घोषित करना चाहिये।