भोपाल। मध्य प्रदेश के हाईप्रोफाइल हनीट्रैप केस में यूं तो कई नेता, मंत्री और अफसर फंसे हैं परंतु एक पूर्व सांसद महोदय इस दलदल में इतना गहरे तक फंसे कि पूरा पॉलिटिकल कॅरियर ही बर्बाद हो गया, बदनामी बाकी है, वो भी जल्द होने की उम्मीद है। दरअसल, इनके एक दो नहीं पूरे 30 वीडियो मिले हैं। एसआईटी इनके भ्रष्ट आचरण के सबूत जमा कर रही है। इंजीनियर के बाद दूसरा नाम इन्हीं का हो सकता है।
पीछा छुड़ाने 2 करोड़ रुपए दिए
बताया जा रहा है कि संगठन के बड़े नेता के ज़रिए भोपाल की एनजीओ वाली महिला आरोपी से पूर्व सांसद की पहचान हुई थी। उसके बाद आरोपी महिला अपने एनजीओ के काम से पूर्व सांसद से कई बार मिली। सांसद महोदय, महिला के जाल में ऐसे फंसे कि एकाध नहीं पूरे 30 बार हनीमून मनाया। हर बार वीडियो बनता रहा। जब पता चला तो होश उड़ गए। तत्कालीन सांसद ने पहली बार पीछा छुड़ाने के लिए आरोपी महिला को पूरे दो करोड़ रुपए दिए।
ख़ुदक़ुशी की कोशिश, एनजीओ को फंडिंग दिलाई, सरकारी काम किए
जब आरोपी महिला ने तीस सीडी बनाए जाने की बात पूर्व सांसद को बताई, तो उन्होंने बदनामी के डर से खुदकुशी करने की कोशिश की। इस दौरान संगठन के बड़े नेताओं को सांसद महोदय की कहानी पता चल गई। खुदकुशी की कोशिश की इस घटना के बाद आरोपी महिला कुछ महीनों तक शांत रही और इसके बाद उसने फिर पूर्व सांसद को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। सांसद रहते हुए नेताजी ने आरोपी महिला के एनजीओ को फंडिंग दिलाई और कई सरकारी कामकाज भी किए।
चुनाव से पहले दुबई भेजा फिर भी टिकट कट गया
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में टिकट कटने के डर से पूर्व सांसद ने आरोपी महिला को कुछ महीनों के लिए अपने खर्च पर दुबई टूर पर भेज दिया। हालांकि, उसके बाद भी उन्हें टिकट नहीं मिला। हनीट्रैप में फंसे होने की वजह से पार्टी ने पूर्व सांसद का टिकट काट दिया। अब माननीय के पास कोई बड़ा पद नहीं है। उनका पूरा पॉलिटिकल कॅरियर बर्बाद हो चुका है। बस सार्वजनिक बदनामी शेष है।
इंजीनियर के बाद सांसद का नाम ओपन होगा
एसआईटी के पास सभी 30 वीडियो हैं। अब वो सबूत जुटा रही है कि सांसद महोदय ने एनजीओ को कितना फंडिंग कराया और किस तरह के सरकारी काम दिलाए। यह पद के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का मामला बनेगा। उम्मीद है इंदौर के इंजीनियर के बाद इन्हीं सांसद का नाम सबसे पहले सार्वजनिक किया जाएगा।