दिनेश बोयनिया। वर्तमान में हमारे मध्यप्रदेश में सरकारी नीतियों की वजह से शैक्षणिक अमला 2 धड़ों में बटा हुआ है। शिक्षा विभाग और आदिमजाति कल्याण विभाग। दोनों विभागों की अलग अलग स्थानांतरण नीति प्रचलन में है। दोनों विभागों द्वारा शिक्षकों को दूसरे विभाग में प्रतिनियुक्ति देने हेतु सहमति भी बनी।
आदिम जाति कल्याण विभाग में कार्यरत शैक्षणिक अमले को शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति के लिए उनसे आनलाईन आवेदन लिए गए थे और उन्हें विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया था। उसके बाद उन शिक्षकों को मूल विभाग के अन्य किसी विद्यालय में स्थानान्तरण की पात्रता भी नहीं थी।
ऐसे नवीन शिक्षक संवर्ग ने शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति के लिए स्वैच्छिक स्थानान्तरण का आनलाईन आवेदन किया क्योंकि शिक्षा विभाग ने अन्य कोई लिंक नहीं खोली थी किन्तु शिक्षा विभाग ने उन्हें प्रतिनियुक्ति का अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया है और ना ही इस सम्बन्ध में कोई भी जानकारी या निर्देश जारी किए हैं।
ऐसे में ऐसे शिक्षक स्वयं को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं क्योंकि उनके मूल विभाग में उन्हें स्थानान्तरण नहीं मिला और ना ही शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति। वे अपने गृह जिले से बहुत दूर ही रह गए हैं। पहले वे जिला पंचायत के कर्मचारी थे। नवीन सम्वर्ग में सम्विलियन के पूर्व उनसे विकल्प नहीं पूछा गया की वे आदिम जाति कल्याण विभाग में सम्विलियन चाहते हैं या शिक्षा विभाग में और अब वे स्थानान्तरण से भी वंचित रह गए हैं।
यदि प्रतिनियुक्ति नहीं देना थी तो पूरी प्रक्रिया करने की आवश्यकता ही क्या थी और यदि देना है तो अंधेरे में क्यों रखा गया है। कोई निर्देश या जानकारी तो देना चाहिए। जिससे ये शिक्षक चिन्तामुक्त और प्रतिनियुक्ति के लिए आशान्वित हो सकें।
दिनेश बोयनिया, डिंडौरी