नई दिल्ली। उपभोक्ता हितों को लेकर अरसे से लंबित उपभोक्ता संरक्षण विधेयक को मंगलवार को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई। लोकसभा से यह पहले ही पारित हो चुका है। विधेयक में उपभोक्ताओं के अधिकारों को और मजबूती प्रदान करने के लिए उपभोक्ता फोरम के स्थान पर राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का गठन किया जाएगा। इसके तहत वस्तुओं और सेवाओं में खामियों की शिकायत को उपभोक्ता इन आयोगों में रख सकते हैं।
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि नियम बनाते वक्त सदस्यों के सुझावों को समाहित किया जाएगा। इससे पहले विधेयक पेश करते हुए उन्होंने कहा कि कई सदस्यों ने हेल्थकेयर को शामिल करने की मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण हमने उसे इसमें शामिल नहीं किया है। बिल दो बार स्थायी समिति के विचारार्थ जा चुका है।
जब उपभोक्ता संरक्षण कानून बना था, तब न्यायिक तरीके से नहीं सोचा गया था। फिर भी उपभोक्ता फोरम का नाम कंज्यूमर कोर्ट करने से सारी प्रक्रिया कोर्ट जैसी हो गई। इससे अनेक मामले लंबित हो गए हैं।पासवान ने कहा कि केंद्रीय शिकायत निवारण आयोग में 20,304 केस, राज्यों के स्तर पर 1,18,319 और जिला स्तर पर 3,23,163 मामले लंबित हैं। इसलिए हमने इसकी न्यायिक प्रकृति को खत्म कर दिया है। पहले जिला स्तर पर उपभोक्ता फोरम, जबकि राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता आयोग थे। अब तीनो स्तर पर आयोग होंगे।
अभी 596 जिलों में फोरम अध्यक्ष और 362 सदस्यों के पद खाली हैं। जबकि तीन राज्यों में अध्यक्ष के 38 पद खाली हैं। इसलिए हमने प्रक्रिया को सरल किया और उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण बनाया है। हमने विज्ञापन के प्रकाशक बजाय निर्माता पर सख्ती बरती है। इसी महीने हम नियम बनाने से पहले सभी के साथ बैठक करेंगे। उपभोक्ता के हित में जितने भी हो सकते हैं, प्रावधान करेंगे। कई सदस्यों ने विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेजने को कहा था। मैं इतना ही कहूंगा कि यह दो बार स्थायी समिति को गया। ऐसे में अब इसे पास हो जाना चाहिए।
अब यह होगा
सामान खरीदने से पहले, खरीद के दौरान व बाद में शिकायत दर्ज करने का इंतजाम किया गया है।
शिकायत दर्ज करने के लिए 21 दिन की सीमा तय की गई है। इसके बाद अपने आप शिकायत दर्ज हो जाएगी।
यदि जिला व राज्य स्तर पर ग्राहक के हित में फैसला हो गया तो राष्ट्रीय स्तर पर केस नहीं दर्ज होगा।
उपभोक्ता कहीं से भी शिकायत कर सकता है, इसमें वकील की आवश्यकता नहीं होगी।
उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण सभी प्रकार के सामान व सेवाओं के अलावा भ्रामक विज्ञापन की भी जांच कर सकेगा।