पचमढ़ी का राजभवन: मप्र का नया पर्यटन स्थल | PACHMARHI KE RAJ BHAVAN KI STORY, HOW TO REACH

भोपाल। मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन ने प्रदेश को एक नया पर्यटन स्थल दे दिया है। इसका नाम है पचमढ़ी स्थित राजभवन। जी हां, 132 साल पुराना यह राजभवन अब आम पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। पचमढ़ी में 40 साल पहले 1967 में आखरी बार अस्थाई राजधानी बनाई गई थी। इसके बाद अंग्रेजी राज से चली आ रही परंपरा खत्म हो गई। 

पचमढ़ी, मध्यप्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी

लगभग 40 साल पहले पचमढ़ी मध्य प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी। वर्ष 1967 की गर्मियों में राजधानी आखिरी बार पचमढ़ी में स्थानांतरित हुई। यह मुख्यमंत्री श्री डीपी मिश्रा के कार्यकाल में था। उसके बाद, श्री गोविंद नारायण सिंह ने ग्रीष्मकालीन राजधानी को पचमढ़ी स्थानांतरित करने की प्रथा को बंद कर दिया। ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा प्राप्त करने के बाद, पचमढ़ी में मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के लिए भी बंगले हैं। तार्किक विस्तार के रूप में, इसमें राज्यपाल के ठहरने के लिए राजभवन भी है।

क्या खास बात है पचमढ़ी के राजभवन में

राज भवन लगभग 22.84 एकड़ जमीन में फैला है। 
मुख्य इमारत में एक बड़ा कॉन्फ्रेंस रूम है। 
कॉन्फ्रेंस रूम से लगा हुआ डायनिंग हॉल है। 
डायनिंग हॉल के दोनों तरफ अतिथियों के लिए गेस्ट रूम बने हैं। 
मुख्य इमारत से अलग एक और बड़ी इमारत है, जो मीटिंग हॉल कहलाती है। 
इसी मीटिंग हॉल में पुराना पियानो है, जो अभी भी बजता है। 
पीछे के हिस्से में एक बड़ी घुड़साल बनी हुई है और हाथी शाला भी बनी है।
यह एक ऐसी जगह है जहां सेल्फी तो बनती है। 

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