इंदौर। एमजीएम मेडिकल कॉलेज की एंटी रैगिंग कमेटी ने मंगलवार को एबीबीएस फाइनल ईयर की चार छात्राओं को छह माह के लिए होस्टल से निष्कासित कर दिया। इन छात्राओं ने जूनियर छात्राओं पर सॉरी बोलने का दबाव बनाने का आरोप है। दरअसल, कॉलेज के गर्ल्स होस्टल में लंबे समय से जलसंकट बना हुआ है।
इस लेकर सीनियर छात्राओं ने जूनियर्स को कॉलेज प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने को कहा था। जूनियर छात्राओं ने इससे इनकार किया तो सीनियर्स ने उन पर सॉरी बोलने का दबाव बनाया। सेकंड ईयर की छात्राओं की शिकायत पर माइक्रोबायोलॉजी विभाग अध्यक्ष अनिता मोथा की अध्यक्षता वाली एंटी रैगिंग कमेटी ने दोनों पक्षों के बयान लिए। कमेटी की रिपोर्ट के बाद चारों छात्राओं पर कार्रवाई हुई।
सीनियर छात्राओं ने कहा-
बदतमीजी से बात करने पर सॉरी बोला का कहा था, मेडिकल कॉलेज के गर्ल्स होस्टल में लंबे समय से जल संकट बना हुआ है। कई बार तो छात्राओं को नहाने के लिए पानी तक नसीब नहीं हुआ। मई माह में यह समस्या बढ़ गई और स्थिति यहां तक बन गई कि खर्च के लिए छात्राओं को दूसरी बिल्डिंग से पानी लाना पड़ रहा था। इसकी शिकायत छात्राओं ने होस्टल वार्डन और डीन से भी की। जब सुनवाई नहीं हुई तो सीनियर और जूनियर छात्राएं प्रदर्शन करने की योजना बनाने लगे।
इसमें एमबीबीएस सेकंड ईयर की दो छात्राओं ने असहमति जताई। सीनियर छात्राओं का कहना है कि बदतमीजी से बात की तो उन्हें सॉरी बोलने को कहा गया। उन्हें अन्य साथी छात्राओं द्वारा सॉरी बोलने को कहा गया। होस्टल के व्हाट्सएप ग्रुप में भी कुछ इसी तरह का वार्तालाप हुआ जिसके बाद दो जूनियर छात्राओं ने एमजीएम मेडिकल डीन, संभागायुक्त सहित मानव अधिकार आयोग को शिकायत कर दी जिसमें यह कहा गया कि सीनियर होने का रौब झाड़ते हुए माफी मांगने का दबाव बनाया।
रिपोर्ट के मुताबिक रैगिंग प्रतीत हो रही है :
डीन डॉ ज्योति बिंदल ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि एंटी रैगिंग कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रथम दृष्टया में रैगिंग प्रतीत हो रही है। सजा के तौर पर हमने छात्राओं को हॉस्टल से छह माह के लिए निष्कासित किया है। मंगलवार को उनके माता-पिता को भी बुलवाया गया था।