आर्थराइटिस यानि गठिया के इलाज से पहले मोटापे की जांच जरूरी है | BEFORE ARTHRITIS TREATMENT

डॉ. अखिलेश यादव। आज के वक्त में हर 5 में से 3 व्यक्ति मोटापे (OBESITY) का शिकार हैं। मोटापा (FAT) दुनिया भर में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या (HEALTH PROBLEM) बन चुकी है, जो अब एक महामारी का आकार ले रही है। अमेरिका की आबादी देखी जाए तो एक तिहाई लोग मोटापे की चपेट में आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमान के अनुसार दुनिया भर में एक बिलियन लोग मोटापे से प्रभावित हैं। 

किसी व्यक्ति का वजन (किलोग्राम में) उसकी ऊंचाई (मीटर में) (WEIGHT AND HEIGHT) के साथ आंका जाता है। इन दोनों का सही माप BMI के जरिए किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति का बीएमआई रेट 30 के बाराबर या उससे अधिक होता है तो वह अत्यधिक मोटापे से ग्रस्त माना जाता है। जबकि यही बीएमआई 40 के बराबर या उससे अधिक हो तो इसे एक बीमारी का रूप माना जाता है।

गठिया समेत कई स्वास्थ्य समस्याओं का सीधा संबंध मोटापे से जुड़ा हुआ है। यह खास तौर पर घुटनों के पुराने आस्टियो आर्थराइटिस यानि गठिया की स्थिति को गंभीर करता है, जिससे पीडि़त व्यक्ति असहज और घातक पीड़ा का अनुभव करता है। मोटापे के कारण ही पैर शरीर का सारा भार उठाने में अस्मर्थ हो जाते हैं, जिससे घुटनों के जोड़ों में इतना तीव्र दर्द होने लगता है कि पीडि़त को दो कदम चलने में भी अत्यंत परेशानी होती है। यही गठिया का कारण बनता है। यह माना जाता है कि मोटे लोगों में वसा उत्तक लेप्टिन नामक हार्मोन बनाता हैं जो कार्टिलेज मेटाबोलिज्म (चयापचय) को प्रभावित करता है और गठिया का कारण बनता है।

मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिए वजन कम करना बेहद जरूरी होता है और जो ऐसा करने में कामयाब हो जाते हैं उनके लिए यह किसी जीवनदान से कम नहीं रहा है। वजन घटने से गठिया की परेशानी में भी सुधार आता है। अपनी जीवनशैली में बदलाव कर वजन को तो कम किया ही जा सकता है साथ ही गठिया में भी सुधार लाया जा सकता है। ये बदलाव आहार के साथ-साथ रहन सहन में भी जरूरी हैं जैसे कि प्रतिदिन व्यायाम करना, खाने के बाद आधे घंटे की वॉक, मॉर्निंग वॉक, लिफ्ट की जगह सीढिय़ों का इस्तेमाल करना, जंक फू ड से दूर रहना आदि से रोगियों को काफी राहत मिलती है।

गठिया से उत्पन्न होने वाले दर्द के इलाज के लिए आमतौर पर गैर स्टेरायडल विरोधी उत्तेजक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इनका लगातार और अधिक इस्तेमाल करने से पेट और गुर्दों को नुकसान पहुंचता है। इसलिए इनका इस्तेमाल केवल डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। विस्कॉस जेल का इंजेक्शन लगवाने से जोड़ों में चिकानई बढ़ जाती है और गठिया के जोड़ की सक्रियता में वृद्धि हो जाती है। जोड़ें के बीच के जमाव को अर्थोस्कोप नामक टेलीस्कोप से साफ  किया जाता है।

घुटने की पूर्ण अथ्र्रोप्लास्टी करवाने वाले रोगियों में एक बड़ी संख्या मोटापे से ग्रसित लोगों की है। कुछ अध्ययनों के अनुसार अत्यधिक मोटापे से ग्रसित लोगों में ट्रांसप्लांट के फेल होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ये भी देखा गया है कि मोटापे के कारण गठिया के ऑपरेशन के परिणाम भी कुछ खास नहीं होते। ऐसे रोगी वैक्सीन आपनाकर दर्द से राहत पा सकते हैं। ऐसे रोगियों की सही जांच और नियमित देखभाल अत्यंत आवश्यक है। मोटापे से ग्रस्त रोगियों की जटिलताओं को देखते हुए वजन सर्जरी के जरिए घटा लेना चाहिए, जो बेरिएट्रिक सर्जरी से संभव हो सकता है।
लेखक डॉ. अखिलेश यादव सेंटर फॉर नी एंड हिप केयर, गाजियाबाद में वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !