ATITHI SHIKSHAK: 3 महीने और 10 साल को बराबर कैसे तौल सकती है सरकार | Kuhla Khat to CM KAMAL NATH

आदरणीय महोदय जी, आज म.प्र कांग्रेस कमेटी के प्रवक्‍ता सैय्यद जफर साहब के ट्विटर एकाउंट एवं सोशल मीडिया व व्‍हाट्सप ग्रुप व न्‍यूज चैनल फुटेज देखने से पता चला कि म.प्र की कांग्रेस सरकार ने पिछले सत्र मे 3 माह या अधिक काम कर चुके आनलाइन प्रक्रिया से चयनित अतिथि शिक्षकों को वर्तमान आनलाइन अतिथि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में 25 अंक देने का निर्णय लिया हैं। यह निर्णय विसंगति पूर्ण है।

यदि सरकार चाहती कि अतिथि शिक्षकों को अति‍थि शिक्षक चयन प्रक्रिया में लाभ देना है तो इस प्रक्रिया में 10 अंक प्रतिवर्ष अनुभव के देती जिस प्रकार सेवानिवृत्‍त शासकीय शिक्षकों को दिए जा रहें है। अधिकतम 10 वर्ष तक। क्‍योंकि अतिथि शिक्षक का पद कोई स्‍थायी पद नहीं हैं व तीन माह कार्य करने वाले को व 10-12 वर्ष से सेवा देने वाले को एक समान अनुभव के अंक देना न्‍यायसंगत नहीं हैं। इससे वर्षों से सेवा दे रहें अतिथि शिक्षकों के साथ कहीं न कहीं अन्‍याय होगा। क्‍योंकि 2006-07 में शासन उन्‍हें 1000 रूपये मानदेय प्रतिमाह देता था व 2007-08 से वर्ग 1,2,3 अतिथिशिक्षकों को क्रमश: 180,150,100 मानदेय प्रतिकार्य दिवस अधिकतम 23 कार्यदिवस तक दिया जाता था। जबकि सत्र 2017-18 से 5000,7000,9000 मानदेय शासन ने देना शुरू किया हैं। 

अतिथि शिक्षक आनलाइन भर्ती प्रक्रिया में अनुभव के अंक न दिए जाने से पुराने अतिथि शिक्षक बहुत बड़ी संख्‍या में बाहर हो चुके हैं और तीन माह अनुभव वालों को 25 अंक देना कहीं न कहीं उन पुराने अतिथि शिक्षकों के साथ धोखा है जिन्‍होनें वर्षों अल्‍प मानदेय पर प्रदेश का भविष्‍य संवारा व अब ओवरएज की कगार पर है या हो चुके है। इसी प्रकार पूर्व सरकार ने अतिथि शिक्षकों को स्‍थायी शिक्षक भर्ती में दिए जा रहें 25% आरक्षण में जो तीन सत्र व 200 दिन का अनुभव रखा हैं वह भी गलत है। सरकार को प्रति सत्र 2.5 अंक अधिकतम 10 वर्ष 25 अंक रखना थे ताकि पुराने अतिथि शिक्षकों को वरीयता मिल पाती। 

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार अनगिनत वचनों व कर्मचारियों के सहारे आयी है क्‍योंकि कर्मचारियों को भाजपा सरकार वर्षों से छल रही थी इसमें सबसे ज्‍यादा शोषण अतिथि शिक्षकों का हुआ हैं साथ ही संविदाकर्मियों एवं दैनिक वेतन भोगियों का भी उन्‍होने मिलकर एक सुखद भविष्‍य की सोच से कांग्रेस को समर्थन दिया परंतु यह सरकार कठोर निर्णय लेने में अक्षम हैं जिसके कारण अगर आज प्रदेश में चुनाव हो जाए या भविष्‍य में जब भी चुनाव हों तो कांग्रेस क्‍या मुंह लेकर जाएगी जनता के सामने यह सोचने का विषय है कांग्रेस पार्टी के लिए क्‍योंकि आप अपने वचनों को पूरा नहीं कर पा रहे व कर्जमाफी मे उलझ कर रह गए है। 

कमलनाथ जी को मोदी जी की तरह कठोर निर्णय लेने होगें जैसे उन्‍होनें नोटबंदी, जीएसटी, तीनतलाक, सर्जिकल स्‍ट्राइक पर लिया क्‍योंकि जनता एक अक्षम सरकार को ज्‍यादा दिन पसंद नहीं करती है। अतिथिशिक्षकों का स्‍थायी करण बिना कोई क्राइटएरिया बनाए हो ही नहीं सकता हैं क्‍योंकि इसमें विषय संबंधी पात्रता का न होना, प्रशिक्षित न होना, किसी का एक सत्र तो किसी के 10-12 सत्र होना अत: सरकार को 3-5 साल कोई क्राइटएरिया निश्‍चित कर प्रशिक्षित व्‍यापम 2005,8,11,19 पास अतिथिशिक्षकों के नियमितिकरण से अपनी वचन पूर्ति की शुरूआत कर देना चाहिए क्‍योंकि सबको संतुष्‍ट करना असंभव है सभी के कारण पात्र भी पिछड़ रहें है। एकही साधे सब सधे, सब साधे सब जाए –इस सरकार में अभी ताल मेल भी नजर नहीं आ रहा है व कोई व्‍यवस्थित कार्ययोजना भी नहीं आ रही जनता के सामने 6 माह बाद भी सरकार असमंजस में है न संविदा कर्मियों पर निर्णय हुआ न अतिथिशिक्षकों न ही अतिथिविद्वानों का न ही रोजगार सहायक आदि का। 

हर मुद्दे पर मंत्रियों के विचार व सुर भी अलग हैं। इसी प्रकार सरकार ने जो रोजगार बढ़ाने पुलिस भर्ती आदि की घोषणाये की थी उन का भी पता नहीं है बस प्रदेश की आर्थिक स्थिति का रोना रो रही है जब‍कि शिवराज सरकार हर माह कुछ न कुछ नयी स्‍कीम जनता के हित में लाती थी इससे लगता हैं कि 15 साल के वनवास के बाद आयी इस सरकार में अनुभव व दक्षता की कमी है।
सादर धन्‍यवाद
आशीष कुमार बिरथरिया