ग्वालियर। AMARDEEP BAND GWALIOR को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम ने सेवा में कमी का दोषी पाया है। हालांकि ग्राहक ने सेवा शुल्क नहीं दिया था अत: जुर्माना नहीं लगाया। मामला बारात में समय पर घोड़ा, बैंड व लाइट नहीं पहुंचने का है।
फोरम की बैंच ने टिप्पणी की कि हिंदुओं की शादी में लग्न विशेष महत्व रखता है। उसी के अनुसार बारात निकालना सुनिश्चित किया जाता है। ऐसी दशा में बैंड, लाइट व घोड़ा आदि समय पर नहीं पहुंचते हैं तो उससे व्यक्ति को मानसिक क्षति होती है। इनके विलंब से पहुंचना सेवा में त्रुटि है। परिवादी ने जहां तक कि क्षतिपूर्ति का दावा किया है। परिवादी ने बैंड का उपयोग किया है। जिसके बदले में 27 हजार रुपए प्रदान नहीं किए। एक सीमा तक बैंड का उपयोग कर लिया है, इसलिए अनावेदक से क्षतिपूर्ति नहीं दिलाई जा सकती है।
अश्वनी कुमार ने फोरम में एक परिवाद दायर किया। परिवादी की ओर से तर्क दिया गया कि उनकी बहन का 6 फरवरी 2018 को विवाह होना तय हुआ था। बहन के ससुराल पक्ष ने बैंड, लाइट, आतिशबाजी, घोड़ा आदि बांधने की जिम्मेदारी उसे दी थी। शादी के लिए अमरदीप बैंड से 33 हजार में बैंड बांधना तय हुआ। रात्रि 9 से 10 बजे के बीच का बैंड बुक किया था। 6 हजार रुपए एडवांस दिए थे। इसके बाद परिवादी ने बहन के ससुराल पक्ष को आश्वस्त किया कि बैंड, घोड़ा, लाइट बुक हो चुके हैं। 6 फरवरी 2018 को बारात रात्रि 9 बजे होटल देवास मालू से शुरू होकर पिंटो पार्क जाना थी। 9 बजे बाराती इकट्ठा हो गए। बैंड वाले को फोन किया तो उसने शीघ्र पहुंचने की जानकारी दी। रात 11 बजे तक बैंड के लिए फोन किए गए। वह नहीं आया और बैंड वाले ने फोन बंद कर लिया। ऐसी स्थिति में बहन के ससुराल वालों को अपमानित होना पड़ा। रात्रि 11ः30 बजे बैंड वाला पहुंचा। बैंड वाले ने 10 मिनट ही बैंड बजाया। बरातियों को नाचने का मौका भी नहीं दिया। शीघ्र विवाह स्थल पर ले गया।
बैंड वाले ने अनुचित व्यापार किया है। बुकिंग की राशि 6 हजार रुपए, बरातियों के नाश्ता में खर्च हुए 50 हजार, प्रतिष्ठा में कमी के लिए 50 हजार रुपए दिलाए जाएं। बैंडवाले ने तर्क दिया कि परिवादी ने 30 हजार का भुगतान नहीं किया, इसलिए परिवाद प्रचलन योग्य नहीं है। बाराती 9 बजे बताए स्थान पर नहीं पहुंचे थे। परवादी ने बतौर एडवांस 3 हजार रुपए ही दिए हैं। फोरम ने बैंड की सेवा में कमी माना है, लेकिन परिवादी बैंड उपयोग कर चुका है और उसे 27 हजार रुपए भी नहीं दिए हैं। इसलिए क्षतिपूर्ति दिलाना उचित नहीं होगा। इसलिए क्षतिपूर्ति पाने के योग्य नहीं माना।