भोपाल। यूं तो 'माई का लाल' के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरे प्रदेश को ही जातिवाद की आग में झोंक दिया है पंरतु 5 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां जातिवाद सबसे ज्यादा असर दिखाने की स्थिति में है। यहां राष्ट्रीय मुद्दों पर जातिवाद और आरक्षण के आधार पर वोटिंग हो सकती है। निश्चित रूप से यह स्थिति भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि यहां ना तो 'चौकीदार' के नाम पर वोट मिलेंगे ना 'बेरोजगार' के नाम पर। यहां प्रत्याशी का पुराना जातिवादी रिकॉर्ड उसे वोट दिलाएगा।
मुरैना: मुख्य मुकाबले में है बसपा
बीजेपी के अनूप मिश्रा 43% वोट से जीते दूसरे नंबर पर बसपा को मिले 28.4 प्रतिशत वोट। कांग्रेस से डॉ गोविंद सिंह को मिले महज 21.57 प्रतिशत वोट। इस बार मुरैना सीट से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उतारा है वहीं बसपा ने राम लखन कुशवाहा को टिकट दिया है, कांग्रेस का नाम आना बाकी है। 2014 में मोदी लहर चल रही थी। इस बार नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर से भागकर यहां आए हैं। इस सीट पर जातिवाद फैक्टर काम करता है और सवर्ण समाज नरेंद्र सिंह तोमर से नाराज है, क्योंकि उन्होंने लोकसभा में एससी एसटी एक्ट का विरोध नहीं किया।
रीवा: बसपा ने बिगाड़ा कांग्रेस का गणित
2014 में बीजेपी के जनार्दन को 46.18% वोट मिले, कांग्रेस को 25.85% तो बसपा को 21.15%। भाजपा ने सीटिंग एमपी जनार्दन मिश्रा तो बसपा ने विकास पटेल को दिया टिकट, कांग्रेस में सुंदर लाल तिवारी के बेटे को टिकट की उम्मीद। यहां भी जातिवाद का फैक्टर काम करता है।
बालाघाट- कांग्रेस के हार के अंतर से ज्यादा वोट गए सपा के खाते में
2014 में 96041 वोट से हारी कांग्रेस प्रत्याशी हिना कांवरे, वहीं सपा के खाते में गए 99392 वोट दर्ज हुए। समीकरण बदलने के बाद बीजेपी ने प्रत्याशी बदल दिया है। बोध सिंह का टिकट काट ढाल सिंह बिसेन को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने पूर्व विधायक मधु भगत को मैदान में उतारा।
सतना: बसपा को मिले थे 1 लाख से ज्यादा वोट
2014 में यहां 41.08% वोट बीजेपी को तो 40.13% वोट मिले कांग्रेस प्रत्याशी अजय सिंह को मिले। 13.64 % वोट लेकर बसपा ने कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया था। बसपा से इस बार अच्छे लाल कुशवाहा मैदान में उतारा है। बीजेपी ने फिर गणेश सिंह को उतारा है। कांग्रेस के नाम का ऐलान बाकी है।
ग्वालियर: 2 अप्रैल के बाद यह शहर भी जातिवादी हो गया
2014 लोकसभा में कांग्रेस के अशोक सिंह को 29700 वोट के अंतर से हार मिली थी। जबकि बसपा प्रत्याशी को मिले थे 6.88 % वोट। यहां जातिवाद कितना हावी हो चुका है यह बताने की जरूरत नहीं। 2 अप्रैल 2018 के घटनाक्रम ने शहर में जातिवाद का जहर पूरी तरह से घोल दिया है।