SPHATIK SHIVLING: भारत का एक मात्र दिव्य स्फटिक शिवलिँग मंदिर

Bhopal Samachar
भोपाल। हिंदुओं के प्राचीन ग्रंथों में लिखा है कि स्फटिक के शिवलिंग (SFATIK KE SHIVLING) पर अभिषेक से व्यक्ति की संपूर्ण इच्छाएं पूर्ण होती है। स्फटिक के शिवलिंग के दर्शन मात्र से मनुष्य का कल्याण हो जाता है। शत्रु शरण में आ जाता है, सभी बधाएं दूर हो जातीं हैं। दुनिया के सबसे बड़े दिव्य स्फटिक शिवलिँग मंदिरों में से एक भारत के मध्यप्रदेश में स्थित है। 

दिव्य स्फटिक शिवलिँग मंदिर | DIVYA SPHATIK SHIVLING TEMPLE
श्री गुरू रत्नेश्वर धाम दिघोरी (SHRI GURU RATNESHWAR DHAM DIGHORI. SEONI. MP) में विश्व का अनूठा स्फटिक का शिवलिंग स्थापित है। इसकी स्थापना सिवनी निवासी एवं द्वि पीठाधीश्वर शंकाराचार्य श्री स्वरूपानंद जी महाराज (SHANKARACHARYA SWAMI SWAROOPANAND JI MAHARAJ) द्वारा की गई है। दिनांक 15 से 22 फरवरी 2002 में एक सप्ताह धार्मिक मेला का आयोजन किया गया और स्फटिंग के अनूठे शिवलिंग की स्थापना की गई। इस दौरान देश की समस्त पीठों के शंकराचार्य के अलावा देश में प्रचलित सभी धर्मो के महान धर्माचार्य पधारे थे। स्फटिंक का शिवलिंग बर्फ की चट्टानों के बीच कई वर्षो तक पत्थर के दबे रहने से ऐसा शिविलिंग निर्मित होता है। यह शिवलिंग कश्मीर से यहां लगाया गया था। इसके पूजन का भारतीय धर्म ग्रन्थों में बहुत महत्व बताया गया है। 

मंदिर में कहां किसके दर्शन मिलेंगे
ग्राम दिघोरी जिला सिवनी में शंकराचार्य स्वरूपानंद जी महाराज का जन्म जिस स्थान पर हुआ था, वही पर स्फटिंग के मणि शिवलिंग का वैदिक मंत्रोच्चार के बाद चारों पीठों एवं अन्य धर्माचार्य की उपस्थिति में स्थापित किया गया है। मार्ग पर ग्राम राहीवाडा बसा है। इस ग्राम के पश्चिम दिशा में एक बहुत बडा गेट बनाया गया है। गेट पर भगवान श्री शिवजी का परिवार विराजित है। मुख्य मार्ग से 8 कि.मी. की दूरी पर पश्चिम में ग्राम दिघोरी में श्री गुरू रत्नेश्वर धाम का विशाल मंदिर दक्षिण शैली में बना है। मंदिर में सीढी चढने के बाद एक हाल में श्री नन्दी विराजित है। इसके बाद एक गर्भगृह में स्फटिक शिवलिंग स्थापित है। मंदिर में दर्शन और पूजन से समस्त पापों का नाश होता है। यहां पर स्वंय के वाहन से पहुंचा जा सकता है। यहाँ प्रतिदिन धर्मावलम्बी आते रहते हैं। मकर संक्राति एवं महाशिवरात्रि को मेला भरता है। मंदिर के पास से पवित्र वैनगंगा नदी बहती है।


कहां स्थित है
यह मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में स्थित है। मंदिर दिघोरी (गुरूधाम) में स्थापित है। यह शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी की जन्म स्थली हैँ। दिघोरी भारत के राज्य मध्यप्रदेश के अन्तर्गत सिवनी जिले से 16 किलोमीटर ग्राम राहीवाडा से पश्चिम दिशा मे गुरुधाम दिघोरी 8 किलोमीटर पर स्थित है यह एक ग्राम पँचायत हैँ।
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