इंदौर। BOMBAY HOSPITAL INDORE के प्रबंधन पर आरोप है कि उसने इलाज कराने आए सरकारी चौकीदार पर मनमाना बिल बनाया और बिल अदा ना करने पर उसे बंधक बना लिया। पूरे 121 दिन तक चौकीदार चंद्रशेखर शर्मा को अस्पताल से डिस्चार्ज नहीं किया गया। विभागीय अधिकारी ने इस हेतु पत्र भी लिखा लेकिन अस्पताल नहीं माना। अंतत: जब बात बढ़ी, हंगामा शुरू हुआ और मीडिया ने सवाल जवाब किए तब कहीं जाकर उसे डिस्चार्ज किया गया। अस्पताल द्वारा बंधक बनाने के कारण चौकीदार को वेतन भी नहीं मिला। परिवार आर्थिक तंगी में आ गया।
मामला क्या है
नर्मदा विकास संभाग क्रमांक 8 में चौकीदार चंद्रशेखर शर्मा की तबीयत खराब होने पर 2 नवंबर 2018 को उन्हें बॉम्बे अस्पताल में भर्ती किया गया। उस समय परिजनों ने 20 हजार रुपए जमा कराए। अस्पताल में इलाज प्रारंभ हुआ। एक माह के बाद 6 दिसंबर को मरीज के ठीक होने पर उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। जब अस्पताल ने उन्हें बिल थमाया तो परिजन सकते में आ गए। 8 दिसंबर को अस्पताल ने 2 लाख 8 हजार रुपए बकाया बताकर उसे जमा करने को कहा। परिजनों ने मुख्यमंत्री सहायता योजना से 75 हजार रुपए की सहायता ली। घर में जो भी पैसा था, वह दवाई में खर्च हो गया। बेटे राहुल शर्मा क्लीनर है। उसने बताया कि घर में रखे लगभग एक लाख रुपए गोली-दवाई में खर्च हो गए। अब और रुपए नहीं हैं। पिताजी के दिसंबर में रिटायर होने पर राशि चुकाने को कहा लेकिन जनरल वार्ड से छुट्टी नहीं दी गई। जनरल वार्ड में भर्ती रहने पर दोनों टाइम खाना व चाय दी जा रही थी।
121 दिन जबरन भर्ती रखा उसका भी बिल थमा दिया
अस्पताल ने बिल नहीं चुकाने पर मरीज को जनरल वार्ड में भर्ती कर दिया था। इसका 28 मार्च तक का बिल 51 हजार 65 रुपए हो चुका है। अब बकाया बिल भी अस्पताल प्रबंधन ने जोड़ दिया। जनरल वार्ड में बकायदा मरीज शर्मा को दोनों समय डाइट के अनुसार भोजन, दोनों समय चाय आदि दी गई।
बिना बताए मनमाना बिल बना दिया
मरीज को अस्पताल की तरफ से 2 लाख 28 हजार 649 रुपए का बिल दिया गया है। इस बिल के अनुसार 2 नवंबर से जनरल वार्ड में पहुंचने तक डॉक्टर की फीस ही 85 हजार 900 रुपए जोड़ी गई है। इसके अलावा 53 हजार 200 आईसीयू चार्ज लगाया गया है। वहीं सरचार्ज भी 33947 रुपए, मेडिकल गैस 24720 रुपए के अलावा अन्य फीस जोड़ी गई है।
विभाग ने लिखकर दिया, फिर भी मुक्त नहीं किया
कार्यपालन यंत्री नर्मदा विकास क्रमांक 8 सनावद की तरफ से अस्पताल प्रबंधन को एक पत्र लिखा गया। इसमें उन्होंने चंद्रशेखर शर्मा के अनुभागीय अधिकारी नर्मदा विकास उपसंभाग क्रमांक पीपलगोन जिला खरगोन में चौकीदार के पद पर कार्यरत होना बताया। वहीं उनके दिसंबर 2019 में सेवानिवृत्त होने की जानकारी दी व उस दौरान मिलने वाली राशि से अस्पताल का भुगतान करने की बात कही लेकिन उसे भी अस्पताल ने फर्जी लेटर बताकर डिस्चार्ज करने से मना कर दिया था।
पत्नी से सीएमएचओ से शिकायत की
हमारे पास पैसों की व्यवस्था नहीं थी। रिटायरमेंट की राशि से भुगतान करने की बात कही लेकिन उन्होंने मना कर दिया व जनरल वार्ड में ही बंधक की तरह भर्ती रखा। इसे लेकर सीएमएचओ से भी मिलने गई थी। बिल बाद में चुकाने की गुहार लगाई।
माया शर्मा, मरीज की पत्नी
मीडिया ने सवाल-जवाब किए तो फटाफट डिस्चार्ज कर दिया
यह मरीज हमारे यहां पर भर्ती थे। 20 हजार रुपए जमा किए थे। मरीज की हालत देख हमने पूरा इलाज किया। दो से ढाई लाख रुपए बिल होने पर परिजन मरीज को छोड़कर चले गए। हम लगातार फोन पर संपर्क करते रहे लेकिन कोई उचित जवाब नहीं मिल रहा था। इनके विभाग में भी बात कर जितना बिल दे सके, उतना भरने को कहा। चार दिन पहले आर्मी के कोई रिटायर्ड पर्सन आकर अस्पताल में हंगामा करने लगे। हमने उनकी शिकायत पुलिस में भी की है। उनके साथ वाले कोई नहीं थे। इसलिए वे खुद भी अस्पताल से नहीं जाना चाहते थे। हमने अब उन्हें डिस्चार्ज कर दिया है।
राहुल पाराशर, जीएम, बॉम्बे अस्पताल, इंदौर