खाद्य पदार्थों में मिलावट गंभीर अपराध, जमानत नहीं: हाईकोर्ट | BUSINESS NEWS

ग्वालियर। हाईकोर्ट की एकल पीठ से मिलावटी पनीर बेचने वाले व्यापारी हिमांशु बंसल को राहत नहीं मिल सकी। कोर्ट ने व्यापारी की अंतरिम राहत को भी खत्म करते हुए कहा कि उसने लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया है। एक भरोसा भी तोड़ा है। जिस पनीर को मार्केट में बेचा जाना था, उसे लोग यह विश्वास करते हुए खरीदते कि वह दूध से बना है, लेकिन वह सिंथेटिक था और उससे लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ता है। ऐसे व्यक्ति को अग्रिम जमानत का हक नहीं है।

कोर्ट ने 30 नवंबर को अंतरिम राहत देते हुए अग्रिम जमानत दी थी, जिसे कोर्ट ने समाप्त कर दिया। हिमांशु बंसल ने 800 किलो पनीर बेचने के लिए मार्केट में भेजा था, लेकिन खाद्य विभाग की टीम ने 20 अक्टूबर 2018 को पनीर जब्त कर लिया। पनीर थर्मोकॉल की पैकिंग में बंद था। मौके से रिफाइंड ऑइल, दूध का पाउडर, खाने का सोडा बरामद किया। डेयरी की पड़ताल की तो जानकारी सामने आई कि पनीर बनाने में रिफाइंड, दूध पाउडर, खाने के सोडे का उपयोग किया जाता था।

पुलिस थाना कोतवाली मुरैना में हिमांशु बंसल के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया गया। हिमांशु बंसल ने गिरफ्तारी से बचने के लिए जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन पेश किया, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने 30 नवंबर को उसे अंतरिम राहत दे दी कि थाने में हाजिरी लगाने आएगा, लेकिन पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं करेगी। याचिका को लंबित रखा गया।

याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि जिन धाराओं में केस दर्ज किया है, उनमें 6 महीने तक के कारावास का प्रावधान है। इसलिए अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाए। शासन की ओर से विरोध किया गया कि अपराध की गंभीरता को देखा जाए, क्योंकि आरोपी मार्केट में मिलवाटी पनीर सप्लाई करने वाला था। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सभी तथ्यों को परखा। पाया कि जो रिकॉर्ड सामने है, उसमें याची ने गंभीर अपराध को अंजाम दिया है। ऐसे व्यक्ति को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता है।

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