NEEMUCH: 8 में से 7 सीट पर भाजपा का कब्जा, लेकिन अबकी बार हालत बेकार | MP NEWS

श्याम जाटव/नीमच। संसदीय क्षेत्र की कुल 8 सीटें हैं और भाजपा का 7 पर कब्जा है। इस बार 2018 के चुनाव में ब्राह्मण, गुर्जर व पाटीदार समाज को टिकट वितरण में ज्यादा महत्व नहीं दिए जाने से ये नाराज है। बताते है 2013 के चुनाव में उज्जैन संभाग में भाजपा ने 28 सीटें जीती थी और केवल 1 सुवासरा हारी थी। यहां से पाटीदार समाज का उम्मीदवार मैदान में था। फिर से पार्टी ने उसी पर भरोसा किया है।

भाजपा ने संसदीय क्षेत्र की नीमच जिले की तीनों सीट पर दो वैश्य और एक राजपूत समाज का प्रत्याशी उतारा है। इससे सबसे बड़ा ब्राह्मण समाज आहत है। वही भाजपा का एक थोक वोट बैंक ओबीसी तबका गुर्जर-पाटीदार व सौंधिया समाज का है। विस में किसी भी सीट से टिकट नहीं मिलने से गहरी नाराजगी हैं। किसान आंदोलन को देखते हुए किसी पाटीदार को टिकट नहीं दिया। हकीकत यह है कि हालात को देखते हुए कांग्रेस का पलड़ा भारी हो सकता है और यहीं कारण है भाजपा प्रत्याशी को गांव-गांव में प्रचार के दौरान विरोध का सामना करना पड़ रहा हैं।

नीमच में ब्राह्मण, पाटीदार और सौंधिया नाराज
यहां से दो बार से विधायक दिलीपसिंह परिहार को तीसरी बार भरोसा किया। इस विधानसभा में करीब 50 हजार ब्राह्मण मतदाता है और भाजपा के  साथ जुड़े हुए। ब्राह्मण समाज का उम्मीदवार नहीं बनाए जाने को लेकर तो किसान आंदोलन को देखते हुए पाटीदार समाज का सरकार के प्रति गहरा आक्रोश है। टिकट वितरण में अनदेखी के चलते ये समाज अंदर से आहत है। वहीं लंबे समय तक सौंधिया समाज के पूर्व विधायक स्वर्गीय खुमानसिंह शिवाजी ने प्रतिनिधित्व किया और इस बार उनके बेटे सज्जनसिंह चौहान ने टिकट मांगा लेकिन पार्टी ने विचार नहीं किया। इस अनदेखी का खामियाजा विधायक परिहार को भुगतना पड़ सकता हैं।

जावद में धाकड़ नाराज
जावद में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरेंद्र कुमार सखलेचा परिवार का कब्जा है। 5 बार सखलेचा ने प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला तो 15 साल से उनके बेटे ओमप्रकाश सखलेचा विधायक है और चौथी बार भाजपा ने भरोसा किया। यह क्षेत्र धाकड़ बाहुल्य है और करीब 50 हजार मतदाता इसी समाज के है। भाजपा ने 1952 से 2018 तक किसी धाकड़ को प्रत्याशी नहीं बनाया।उल्लेखनीय है कांग्रेस ने 1985 में जनपद अध्यक्ष चुन्नीलाल धाकड़ को टिकट दिया था और उन्होंने मुख्यमंत्री स्व. सखलेचा को मात दी। भाजपा ने केवल सखलेचा परिवार को आगे बढ़ाया। इससे धाकड़ समाज में गहरी नाराजगी हैं। धाकड़ समाज को विकल्प के रूप में निर्दलीय समंदर पटेल मिल गया है। भाजपा का परंपरागत वोट पटेल के पक्ष में जा सकता है।

गुर्जर की अनदेखी हुई
मनासा में भाजपा के कदावर नेता व विधायक कैलाश चावला का टिकट काटकर माधव मारू को दिया है। मारू दो चुनाव निर्दलीय लड़ चुके है। इससे पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। इस विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर-गायरी व बंजारा समाज का दबदबा है और भाजपा का एक बड़ा वोट बैंक है। यह समाज किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को हराने-जिताने अहम रोल अदा करता है। यहां से कांग्रेस ने पूर्व जनपद अध्यक्ष उमरावसिंह गुर्जर को टिकट दिया। गुर्जर ने जातिगत आधार पर शुरूआती दौर से ही पैठ बना ली। भाजपा के लिए सीट निकालना मुश्किल हो सकता है।

चंदरसिंह का टिकट काटना भारी पड़ेगा
गरोठ से भाजपा ने विधायक चंदरसिंह सिसौदिया को टिकट नहीं दिया। यहां से देवीलाल धाकड़ को ऐनवक्त पर उम्मीदवार बनाया। सिसौदिया ने नाराज होकर निर्दलीय नामांकरन दाखिल किया था और बाद में उठा भी लिया। सिसौदिया सौंधिया समाज से आते है और यह समाज भाजपा का परंपरागत वोट है। चंदरसिंह का टिकट कटने से समाज में आक्रोश है। इसका खामियाजा भाजपा को चुनाव में भुगतना पड़ सकता हैें।

कांग्रेस का ट्रंप कार्ड ओबीसी
नीमच जिले से ओबीसी वर्ग और किसान सत्यनारायण पाटीदार, उमरावसिंह गुर्जर व राजकुमार अहीर को टिकट दिया। वहीं सवर्ण समाज से मंदसौर में नरेंद्र नाहटा, गरोठ सुभाष सोजतिया, जावरा केके सिंह प्रत्याशी है। ओबीसी से सुवासरा सीट पर हरदीपसिंह डंग पर भरोसा किया। मल्हारगढ़ सुरक्षित सीट से परशुराम सिसौदिया चुनाव लड़ रहे है। जानकारों की माने कांग्रेस ने आठों सीट पर जातिगत समीकरण को आधार बनाकर टिकट वितरण किए। इस प्रकार कांग्रेस
ने चार ओबीसी, तीन सवर्ण और एक दलित को प्रत्याशी बनाया हैं।

संसदीय क्षेत्र का जातिगत समीकरण
भाजपा ने संसदीय क्षेत्र की जावरा विस से डॉ.राजेंद्र पांडे, मंदसौर यशपालसिंह सिसौदिया, सुवासरा राधेश्याम पाटीदार, गरोठ देवीलाल धाकड़ , मल्हारगढ़ जगदीश देवड़ा, नीमच दिलीपसिंह परिहार, मनासा माधव मारू व जावद ओमप्रकाश सखलेचा को मैदान में उतारा है। इस प्रकार पांच सीटों पर सामान्य वर्ग, दो ओबीसी व एक दलित उम्मीदवार है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि मोदी-शिवराज लहर में 2013 में सुवासरा एक मात्र ऐसी सीट है जहां पर पूरे संभाग में एक ही उम्मीदवार राधेश्याम पाटीदार को पराजय मिली। इस बार भी इनकी जीत में संशय बना हुआ हैं।

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