GAMES और EDUCATION एक साथ आगे बढ़ते हैं तो सामंजस्य बढ़ता है: SACHIN TENDULKAR

टीम इंडिया के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने मंगलवार को देश में खेलों को स्कूल सिलेबस में शामिल करने पर जोर दिया। 'क्रिकेट के भगवान' माने जाने वाले तेंदुलकर ने कहा कि मैदान में मिलने वाली सीख बाहर भी काफी काम आती हैं। यूनिसेफ के गुडविल ब्रांड एम्बेसडर तेंदुलकर मंगलवार को विश्व बाल दिवस मनाने के लिए देश की राजधानी में उपस्थित थे।

चार सदस्यीय पैनल में मौजूद तेंदुलकर ने कहा, 'यह सब स्वामित्व की बात है। एक बल्लेबाज जो बल्लेबाजी करने जाता है, वह 22 यार्ड पर अपना स्वामित्व जमाने की कोशिश करता है। इसी प्रकार स्कूली बच्चों को भी फैसला लेना चाहिए और स्वामित्व लेने के लिए जिम्मेदारी उठानी चाहिए।

45 वर्षीय तेंदुलकर ने बात को आगे बढ़ाते हुए बच्चों को बड़ी सीख भी दे दी। उन्होंने कहा, 'आपको निडर होने की जरूरत है, लेकिन लापहरवाह होने की नहीं। आपके पास अध्यापक हैं जो आपको जिंदगी में सही दिशा दिखाते हैं। ड्रेसिंग रूम में अच्छे व्यक्ति टीम का माहौल अच्छा बनाते हैं। जब खेल और शिक्षा एक साथ आगे बढ़ते हैं तो सामंजस्य बढ़ता है। मैं सभी स्कूल में खेल को शामिल होते देखना चाहता हूं और इसे अनिवार्य होते देखना चाहता हूं।'

मास्टर ब्लास्टर ने बच्चों को बड़ों की इज्जत करने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा, 'बच्चों को अपने से बड़ों की हमेशा इज्जत करना चाहिए। बड़े अपने अनुभव आपसे साझा करके आपको सही राह दिखाते हैं। वहीं तेंदुलकर ने माता-पिता और अध्यापकों को भी सलाह देते हुए कहा कि अपने बच्चों की बातें सुनना चाहिए। उन्होंने कहा, बच्चा जब अपने माता-पिता और अध्यापक से संपर्क साफ रखेगा तो उसे परेशानी नहीं होगी और वह सही दिशा में आगे बढ़ेगा।'

क्रिकेट में बल्लेबाजी के कई रिकॉर्ड्स अपने नाम करने वाले तेंदुलकर ने पैनल डिस्कशन के बाद त्यागराज स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में बच्चों के साथ प्रदर्शनी फुटबॉल मैच भी खेला। बता दें कि यूनिसेफ के कार्यक्रम में तेंदुलकर के अलावा नेत्रहीन शतरंज चैंपियन सौंदर्य प्रधान, यूनिसेफ में भारत की प्रतिनिधि यास्मिन अली हक और एयर मार्शल गोन्जिल डीलूर भी उपस्थित थे।

सौंदर्य ने इस दौरान बताया कि वह आज सचिन तेंदुलकर के साथ मंच साझा कर पा रहे हैं क्योंकि उन्होंने कभी हार नहीं मानी। सौंदर्य ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं कि महान सचिन तेंदुलकर के साथ मंच साझा कर रहा हूं। मैं बिलकुल भी देख नहीं सकता, लेकिन कुछ कमाल करना था। मैंने शतरंज खेला और कभी हिम्मत नहीं गंवाई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व किया। बहुत तकलीफें झेली, लेकिन जुनून खत्म नहीं हुआ। कड़ी मेहनत का फल मिलता है। आपको भी कभी हिम्मत नहीं हारना चाहिए। हमेशा अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।'

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