तेंदूपत्ता आदिवासियों की संपत्ति है, सरकार उनका हक मार रही है : रिटा. IFS शुक्ल ने कहा | MP NEWS

भोपाल। तेंदूपत्ता संग्राहकों (श्रमिकों) को बांटे गए जूतों में कैंसर पैदा करने वाले खतरनाक रसायन की मौजूदगी का मामला शांत भी नहीं हुआ और राज्य लघु वनोपज संघ से सेवानिवृत्त आईएफएस अफसर श्रीकृष्ण शुक्ल ने तेंदूपत्ता श्रमिकों को कम मजदूरी मिलने का मुद्दा उठा दिया है। शुक्ल ने संग्राहकों को जूता-चप्पल वितरण पर निशाना साधते हुए कहा है कि संग्राहकों के धन का मनमाने तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे लेकर उन्होंने वन विभाग के प्रमुख सचिव और विभाग प्रमुख को पत्र लिखा है।

शुक्ल तेंदूपत्ता समर्थन मूल्य पर खरीदने को लेकर तीन साल में सरकार को 50 से ज्यादा पत्र लिख चुके हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2006 में वनाधिकार कानून आने के बाद तेंदूपत्ते पर राज्य सरकार की बजाय वनवासियों का अधिकार हो गया है। इसलिए सरकार को संग्रहण दर की बजाय समर्थन मूल्य पर पत्ता खरीदना चाहिए। ऐसा नहीं करके सरकार वनवासियों को कानूनी अधिकारों से वंचित कर रही है। क्रय मूल्य पर पत्ता खरीदने से बचने के लिए सरकार 'तेंदूपत्ता उत्पादक ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया' सहित तमाम तरह के बहाने बना रही है।

उनका कहना है कि संग्रहित पत्ते पर राज्य सरकार का स्वामित्व ही नहीं है तो लाभांश को रॉयल्टी कैसे माना जा सकता है और इस राशि का दूसरे कार्यों में उपयोग कैसे किया जा सकता है। शुक्ल ने सेवानिवृत्त वन अफसरों की बैठक में आए सुझावों पर कार्रवाई नहीं करने पर भी आपत्ति दर्ज कराई है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार तेंदूपत्ता श्रमिकों के अधिकार की राशि का इस्तेमाल वनोपज संघ मुख्यालय और मैदानी स्तर पर काम करने वाले अफसरों के वेतन-भत्तों, उनके लिए सुख-सुविधाएं जुटाने में कर रही है। इस कारण कई बार संग्राहकों का हित भी प्रभावित हो जाता है।
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