भोपाल। 1000 करोड़ के ई-टेंडर घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू कर रहा है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जांच की गति बहुत धीमी करने के लिए यह जांच ईओडब्ल्यू को दी गई थी जबकि व्यापमं घोटाले की तरह इसकी जांच के लिए हाईकोर्ट की निगरानी में एसटीएफ का गठन किया जाना चाहिए था। इधर ईओडब्ल्यू ने घोटाले के रहस्यों का जानने का फैसला किया है। उसने जब्त कम्प्यूटर की तीन हार्ड डिस्क जांच के लिए सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेब (सीएफएसएल) भेजने का फैसला किया है। जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू ने एमपीएसईडीसी के डेटा सेंटर से यह हार्ड डिस्क जब्त की थी।
और भी कई विभागों में हुआ है E-TENDER SCAM
ईओडब्ल्यू को 9 टेंडर से संबंधित डेटा रिट्रीव करना है। वहीं, जांच एजेंसी ने ई-टेंडर से संबंधित दस्तावेज संबंधित विभागों से जब्त कर लिए हैं। ई-टेंडर घोटाले की जांच के दौरान खुलासा हुआ था कि छेड़छाड़ भोपाल से ही की गई थी। जांच एजेंसी को नए आईपी एड्रेस भी मिले थे, जिनमें दूसरे कई विभागों में भी गड़बड़ी के संकेत मिले हैं। मध्यप्रदेश में जारी ई-टेंडर में उसकी शर्तों और राशि में फेरबदल करने का बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। ई-टेंडर में घोटाला सिर्फ जल निगम की नल-जल योजना में ही नहीं, बल्कि पीएचई के दूसरे कार्यों, लोक निर्माण विभाग और मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम सहित दूसरे कई विभागों में भी किया गया है।
जांच आगे बढ़ी तो हुआ नया खुलासा
शुरुआती जांच में एजेंसी को दो आईपी एड्रेस मिले थे। जिस आधार पर जांच एजेंसी ने दावा किया था कि छेड़छाड़ मुंबई में की गई है लेकिन जांच जब आगे बढ़ी तो पता चला कि गड़बड़ी भोपाल में बैठकर की गई थी। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने एमपीएसईडीसी के डेटा सेंटर से वे कम्प्यूटर जब्त किए, जिससे ई-टेंडर में छेड़छाड़ की गई थी।
अधिकारी चुप हैं, गवाहों की ईमानदारी पर दारोमदार
जब्त हार्ड डिस्क से जांच एजेंसी को जल निगम के तीन, लोक निर्माण विभाग के तीन, सिंचाई विभाग के दो और राज्य सड़क विकास निगम के एक टेंडर से संबंधित डेटा रिट्रीव करना है। वहीं, जांच एजेंसी ने इन विभागों से टेंडर से संबंधित सभी दस्तावेज जब्त कर लिए हैं, इनका परीक्षण किया जा रहा है। गवाहों से बयान भी दर्ज किए जा रहे हैं। हालांकि इस संबंध में अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
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