राकेश दुबे@प्रतिदिन। जी हैं ! यह आंकड़ा पूर्णत: पुष्ट है। नीति आयोग की 14 जून को जारी रिपोर्ट कहती है, स्वच्छ पेयजल के अभाव में देश में दो लाख मौतें हो जाती हैं। आजादी के इतने बरस बाद भारत की इस बदनुमा तस्वीर को क्या कहेंगे ? “समग्र जल प्रबन्धन सूचकांक” नाम से जारी 180 पेज की इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सन 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जाएगी। जिसका मतलब है कि करोड़ों लोगों के लिए पानी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा और देश की जीडीपी में छह प्रतिशत की कमी देखी जाएगी।’ रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अभी 60 करोड़ भारतीय गंभीर से गंभीरतम जल संकट का सामना कर रहे हैं और दो लाख लोग स्वच्छ पानी तक पर्याप्त पहुंच न होने के चलते हर साल अपनी जान गंवा देते हैं। स्वतंत्र संस्थाओं द्वारा जुटाए डाटा का उदाहरण देते हुए रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि करीब 70 प्रतिशत प्रदूषित पानी के साथ भारत जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में 120वें पायदान पर है |
रिपोर्ट में जल संसाधनों और उनके उपयोग की समझ को गहरा बनाने की आसन्न आवश्यकता पर जोर दिया गया है। 2016-17 अवधि की इस रिपोर्ट में गुजरात को जल संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के मामले में पहला स्थान दिया गया है। सूचकांक में गुजरात के बाद मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र का नंबर आता है। इसी रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों में त्रिपुरा शीर्ष पर रहा है जिसके बाद हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और असम का नंबर आता है।
नीति आयोग द्वारा 9 वृह्द क्षेत्रों के 28 संकेतकों के विभिन्न पहलुओं जैसे-भूजल, जल निकायों का पुनरोद्धार, सिंचाई, कृषि कार्य, पेयजल, नीतियां और शासन विषय पर अध्ययन कराया गया है। इसमें, राज्यों को विभिन्न जल विद्युत हालातों के लिए उत्तरदायी दो समूहों में बांटा गया था, उत्तर-पूर्वी व हिमालयी राज्य और अन्य राज्य। इस रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार जल प्रबंधन के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य रहे हैं।
सच बात यह है कि देश में पानी की कमी नहीं है, पानी के नियोजन की कमी है। राज्यों के बीच जल विवाद सुलझाना, पानी की बचत करना और बेहतर जल प्रबंधन कुछ ऐसे काम हैं जिनसे कृषि आमदनी बढ़ सकती है और गांव छोड़कर शहर आए लोग वापस गांव की ओर लौट सकते हैं। भारतीय जीवन में जल के महत्व को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में नीति आयोग ने समग्र जल प्रबंधन सूचकांक (सीडब्ल्यूएमआई) पर यह पहली रिपोर्ट तैयार की है। आयोग की मंशा ऐसे अध्ययन हर वर्ष करने की हैं।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।