
प्रतिबंधित जिलों में वर्ष 2000 से तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों पर रोक लगी थी। अपने घर से कोसों दूर बैठे शिक्षकों की करीब 18 बरस बाद तबादले की मुराद पूरी हो पायी है। तबादलों को इस बार विभिन्न वर्गों में बांटा गया। मसलन परस्पर, रिक्त स्थान पर और स्वैच्छिक तबादलों को वरीयता दी गई है. सामान्य जिलों में भी 10 सालों के बाद शिक्षकों के तबादले हुए हैं. इसका शिक्षकों को लम्बे समय से इंतजार था।
इस साल प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा के करीब 1 लाख शिक्षकों ने तबादलों के लिए आवेदन किया था। उसमें लगभग सभी पदों पर तबादला सूचियां जारी हो चुकी हैं। अब शिक्षा विभाग ने तृतीय श्रेणी शिक्षकों को ही राहत दी है। इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने 2008 में प्रबोधकों का कैडर बनने के बाद पहली बार प्रदेशभर के करीब 22 हजार प्रबोधकों को भी तबादलों का तोहफा दिया है. हालांकि चुनावी साल में किए जा रहे इन तबादलों के साथ ही तकरार भी जारी है।
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