
इंदौर की लोकायुक्त पुलिस ने खंडवा के मुख्य वन संरक्षक सीसीसीएफ रामदास महाला के खिलाफ 50 हजार रुपए की रिश्वतखोरी का मामला दर्ज किया था। भारतीय वन सेवा के अधिकारी महला के खिलाफ उनके ही विभाग के एक रेंजर की शिकायत पर मुकदमा दर्ज हुआ था, यह रिश्वत राशि मनचाही जगह पर ट्रांससफर करने की एवज में मांगी गई थी। महाला के साथ ही उनके ड्राइवर के खिलाफ भी लोकायुक्त पुलिस ने मामला दर्ज किया था।
मामला दर्ज करने बाद पिछले दिनों महाला को लोकायुक्त कार्यालय बुलाकर उनकी आवाज का नमूना जमा किया गया। इसके बाद उसके पूर्व ड्राइवर संतोष ने भी आवाज का नमूना दिया। दोनों की आवाज का नमूना शासकीय लैबोरेटरी भोपाल भेजा गया था। लोकायुक्त एसपी दिलीप सोनी के मुताबिक शासकीय लैबोरेटरी भेजे गए आवाज के नमूनों की जांच रिपोर्ट मंगलवार को प्राप्त हो गई। मामले में जल्द ही अनुसंधान कर चालान पेश किया जाएगा। दोनों की आवाज के नमूने इसलिए मांगे थे, ताकि कोर्ट में प्रकरण की ट्रायल में वे यह नहीं कह सकें कि आवाज उनकी नहीं है।
यह है मामला
फरियादी रेंजर ने 17 जनवरी 2018 को सीसीएफ से मिलकर कहा था कि वह बुरहानपुर वन मंडल में पदस्थ है। उसका ट्रांसफर पाड़लिया (बड़वाह) कर दिया जाए। फरियादी जब बाहर निकला तो सीसीएफ के चालक संतोष ने रोककर कहा था कि बिना पैसे के काम नहीं होता है। उसने यह कहते हुए 60 हजार रुपए मांगे कि वह साहब से बात करके ट्रांसफर करवा देगा। फरियादी रेंजर ने इस बातचीत की रिकॉर्डिंग कर ली और रिकॉर्डिंग के साथ शिकायत करने लोकायुक्त पुलिस कार्यालय इंदौर पहुंचा। लोकायुक्त पुलिस ने 24 जनवरी 2018 को एक कांस्टेबल को फरियादी के साथ खंडवा भेजा और चालक संतोष से बात कर कहा कि 60 हजार रुपए ज्यादा होते हैं। पैसे कम कर दो। इस पर 40 हजार रुपए में सौदा तय हुआ और फिर चालक के कहने पर शिकायतकर्ता सीसीएफ के पास गया। हालांकि अफसर और ड्राइवर ने तय दिन पर फरियादी से रिश्वत के पैसे नहीं लिए लेकिन रिकॉर्डिंग के आधार पर 20 फरवरी को एफआईआर दर्ज की गई थी।
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