कर्नाटक के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी हारी कांग्रेस, येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने

नई दिल्ली। राहुल गांधी की कांग्रेस कर्नाटक के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी हार गई। उसने आधीरात को कोर्ट खुलवाई लेकिन उसकी दलीलें काम नहीं आईं। सुबह 4:20 पर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया। उधर कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा ने गुरूवार सुबह ठीक 9 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। राज्यपाल ने बीएस येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया है। कांग्रेस को इस पर आपत्ति थी परंतु सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति को स्वीकार कर दिया। 

बुधवार रात 11 बजे कांग्रेस-जेडीएस ने राज्यपाल वजूभाई वाला की ओर से भाजपा को सरकार बनाने का न्योता देने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी लगाई गई। 2:10 बजे सुनवाई शुरू हुई। लंबी जिरह के बाद सुबह 4:20 पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले पर रोक से इनकार कर दिया। राज्यपाल ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त दिया है। 

पिक्चर अभी बाकी है...
कोर्ट ने केवल उस याचिका को खारिज किया है जिसमें अपील की गई थी कि राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी गई थी लेकिन कोर्ट इस मामले में गुरुवार को सुनवाई कर सकता है। शीर्ष अदालत ने भाजपा से बहुमत के लिए जरूरी विधायकों की संख्या वाली लिस्ट मांगी है। बता दें कि भाजपा विधानसभा चुनाव में 104 सीटें हासिल करके सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि कांग्रेस (78 सीटें) ने जेडीएस (38 सीटें) को समर्थन दे दिया है। भाजपा किसी भी स्थिति में बहुत साबित नहीं कर सकती परंतु यदि 14 विधायक सदन में अनुपस्थित हो जाएं तो बहुत साबित किया जा सकता है। 

राहुल ने कहा- यह संविधान का मखोल है
येदियुरप्पा के शपथ लेने के करीब 15 मिनट पहले ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, "कर्नाटक में बहुमत बगैर भाजपा की सरकार बनाने की मांग बेतुकी है। यह संविधान का मखौल है।
Rahul Gandhi @RahulGandhi
The BJP’s irrational insistence that it will form a Govt. in Karnataka, even though it clearly doesn’t have the numbers, is to make a mockery of our Constitution. This morning, while the BJP celebrates its hollow victory, India will mourn the defeat of democracy.

सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस-जेडीएस ने रखी ये दलीलें
कांग्रेस-जेडीएस की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे थे। उन्होंने कहा "भाजपा के पास 104 विधायकों का समर्थन है और गवर्नर ने भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने न्योता दिया। ये पूरी तरह असंवैधानिक है। ये कभी नहीं सुना गया कि वो पार्टी जिसके पास 104 सीटें हों उसे 112 सीटों का बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन दिए जाएं। पहले ऐसे किसी भी मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से 48 घंटे ही दिए जाते थे।
सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि वह राज्यपाल का मौजूदा फैसला असंवैधानिक मानकर उसे रद्द करे या फिर कांग्रेस-जेडीएस को सरकार बनाने का न्योता देने का आदेश दे।
उन्होंने गोवा मामले का हवाला देते हुए कहा, "गोवा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी फिर भी हमें सरकार बनाने से रोक दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी भाजपा के सरकार बनाने को सही ठहराया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या वो राज्यपाल को रोक सकता है
कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि क्या ये प्रथा नहीं रही है कि राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी को ही बहुमत साबित करने के लिए न्योता देता हो? क्या सुप्रीम कोर्ट गवर्नर को किसी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता देने से रोक सकता है? 
इस पर सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ये पहले भी किया है। 
कोर्ट ने पूछा कि कर्नाटक में अभी किसका प्रभार है? सिंघवी ने जवाब में कहा कि केयरटेकर सरकार का।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम इस पर विचार कर रहे हैं कि क्या सुप्रीम कोर्ट गवर्नर को रोक सकती है, जो राज्य में संवैधानिक निर्वात (वैक्यूम) का कारण होगा।

रोहतगी ने कहा- कोई शपथ ले लेता है तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा
भाजपा के वकील रोहतगी ने सुनवाई के दौरान कहा, "इस मामले में देर रात सुनवाई जरूरी नहीं है। यदि कोई शपथ ले लेता है तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केवल याकूब मेनन के मामले में देर रात सुनवाई की थी, क्योंकि वह फांसी दिए जाने का मामला था। केंद्र के वकील अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा, "इस याचिका को लगाया ही नहीं जाना चाहिए था। कांग्रेस और जेडीएस को बहुमत साबित होने तक इंतजार करना चाहिए था।"

रोहतगी ने कांग्रेस-जेडीएस की अर्जी को खारिज करने की मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि शपथ के लिए न्योता देना राज्यपाल का काम है। राष्ट्रपति और राज्यपाल किसी कोर्ट के लिए जवाबदेह नहीं हैं। कोर्ट को किसी संवैधानिक पदाधिकारी को उसके आधिकारिक कर्तव्य निभाने से नहीं रोका जाना चाहिए। सुनवाई के आखिर में सिंघवी येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण को शाम 4:30 बजे तक टालने की पूरी कोशिश करते रहे।

कांग्रेस-जेडीएस के पास क्या हैं विकल्प?
जेडीएस-कांग्रेस को अपने सभी 116 विधायकों को एकजुट रखना होगा। कांग्रेस ने बुधवार देर शाम अपने सभी विधायकों को बेंगलुरु के पास इगलटन रिसॉर्ट में इकट्ठा भी कर लिया। सभी को एक बस में वहां ले जाया गया। अब चुनौती यह है कि विधायकों को 15 दिन तक भाजपा या दूसरे लोगों के संपर्क में आने से रोकना होगा। 

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