KAMAL NATH: ना रणनीति ना प्लान, बस एंटी वोटिंग पर ध्यान | MP NEWS

भोपाल। कमलनाथ इन दिनों सुर्खियों में हैं। देश भर की मीडिया पर उनके इंटरव्यू चल रहे हैं। हर इंटरव्यू में वो सत्ताविरोधी लहर की बात कर रहे हैं परंतु उन्होंने अब तक ऐसी कोई रणनीति या प्लान का खुलासा नहीं किया जो कांग्रेस की जीत सुनिश्चित कर सके। सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस को लगातार तीन बार नकार चुकी जनता आखिर क्यों कांग्रेस को वोट करेगी। ऊबड़ खाबड़ सड़कें, अंधाधुंध बिजली की कटौती और एससी/एसटी एक्ट के नाम पर हुआ अन्याय, लोग आज भी सिहर उठते हैं। मुख्य सवाल यह है कि उम्मीद की किरण कहां है ? 

कमलनाथ ने माना संगठन कमजोर, टिकट वितरण में गड़बड़ी

एक इंटरव्यू में कमलनाथ ने माना कि 2003 में हम इसलिए हारे थे क्योंकि उस समय प्रदेश में सत्ता के खिलाफ लहर थी। 2008 में बीजेपी इसलिए जीती क्योंकि उसने किसान कर्ज माफी सहित कई बड़े वादे किए थे। हम उस समय संगठनात्मक मोर्चे पर थोड़ा कमजोर थे और टिकट बांटने पर भी कुछ गड़बड़ियां हुई थीं। 2013 में उन्होंने सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया और कांग्रेस, बीजेपी की संगठनात्मक ताकत का मुकाबला नहीं कर सकी। 

इस बार ऐसा क्या जो कांग्रेस जीत जाएगी
कमलनाथ कहते हैं कि हमें वर्तमान परिस्थितियों को देखना चाहिए। ऐसा कभी इतिहास में नहीं हुआ होगा जब समाज का हर तबका सरकार से परेशान हो चुका है। किसान लहूलुहान हो रहे हैं, युवा बेरोजगार हैं, व्यापारी और मजदूर वर्ग नाराज है। महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। मध्य प्रदेश में किसानों की आत्महत्या और महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं पूरे देश में सबसे ज्यादा है। शक्ति प्रदर्शन की राजनीति बुरी तरह उजागर हुई है। 

क्या शिवराज के प्रति नाराजगी जीत की गारंटी है
सवाल वही है, क्या सत्ता के प्रति नाराजगी कांग्रेस की जीत की गारंटी है। यहां ध्यान देना होगा कि 2003 मे जो हुआ वो 2018 में भी होगा, भरोसे के साथ कहा नहीं जा सकता, क्योंकि 2003 में भाजपा 'उम्मीद की किरण' थी। दिग्विजय सरकार का विरोध तो 1998 में भी था परंतु तब भाजपा खुद को 'उम्मीद की किरण' साबित नहीं कर पाई थी। इसी प्रकार शिवराज सरकार का विरोध तो 2013 में भी था परंतु तब कांग्रेस खुद को 'उम्मीद की किरण' साबित नहीं कर पाई। एक बार फिर वही हालात हैं। केवल कांग्रेस में गुटबाजी कम हो जाएगी तो जनता वोट करेगी यह विश्वास करना मुश्किल है। 

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