प्रियंका प्रसंग -अशालीन होते जा रहे धरना प्रदर्शन ? | EDITORIAL

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत में धरना प्रदर्शन पिछले कई  दशकों से चलने वाले राजनीतिक अनुष्ठान हैं और  इस अनुष्ठान के आगे भी कई वर्षों तक चलने की सम्भावना है। धरना प्रदर्शन के दौरान  अब शालीनता का अभाव साफ दिखने लगा है। धरना प्रदर्शन में शामिल आम महिलाओं को कितना धक्का मुक्की सहना होता है अब नेतृत्व करने वालों को पता लगने लगा है। पहले डिम्पल यादव और अब प्रियंका वाड्रा के साथ जो हुआ, वो राजनीतिक दल, उनके नेता और कार्यकर्ताओं के विवेक और संस्कार पर प्रश्न चिन्ह है। आहत प्रियंका को जोर से ऐसे लोगों को वापिस चले जाने को कहना पड़ा। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि धरना, प्रदर्शन को असफल करने के लिए विरोधी भी ऐसा कर सकते हैं, पर हर बार करना असम्भव है लेकिन जब हर प्रदर्शन धरने से ऐसी खबरें आने लगे तो सोचना होगा समाज में कहाँ विकृति आ रही है ?

पूरा देश उन्नाव और कठुवा गैंगरेप मामले को लेकर सन्नाटे में था। चारों चरफ से लोग इंसाफ की मांग कर रहें थे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता में आधी रात को कांग्रेस की तरफ से दिल्ली के इंडिया गेट पर उन्नाव में हुए गैंगरेप के विरोध में कैंडल मार्च निकाला गया। इस मार्च में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इस मार्च के दौरान राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा भी मौजूद रही, इस विरोध मार्च में प्रियंका के साथ कुछ ऐसा भी हुआ जिससे प्रियंका गांधी गुस्से से आग बबूला हो गईं। यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले सपा नेता डिम्पल यादव के साथ भी ऐसा हुआ था। आम महिला कार्यकर्ता तो हमेशा इसे भुगतती और शिकायत करती आ रही हैं।

हमेशा की तरह इस आन्दोलन में आधी रात के बावजूद इंडिया गेट पर ज्यादा भीड़ इकट्ठा हो गई थी। इस बीच कांग्रेस कार्यकर्ताओं में प्रियंका गांधी से हाथ मिलाने और उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ मची थी। इसी दौरान भीड़ थोड़ी बेकाबू हुई और वहां पर धक्का-मुक्की शुरू हो गई। बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी के साथ भी धक्का-मुक्की हुई। इस दौरान प्रियंका किसी शख्स को कोहनी मारती हुई भी दिखीं।प्रियंका ने मोर्चा संभालते हुए धक्का-मुक्की कर रहे कार्यकर्ताओं को खरी-खोटी सुना दी। प्रियंका ने गुस्से भरे अंदाज में कहा, ”आप सोचिए कि आप क्या कर रहे हैं, अब आप चुपचाप से खड़े होकर चलेंगे वहां तक। जिसको धक्का मारना है घर चला जाए”। ऐसा नहीं है कि सिर्फ प्रियंका राहुल गांधी को भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं की धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ा।

धरना, प्रदर्शन, उपवास को राजनीतिक प्रतिरोध के हथियार में बदलने वाले महात्मा गाँधी हर आन्दोलन के पहले करणीय और अकरणीय कार्य की सीमा समझाते थे। अब नेताओं में ही ऐसे किसी प्रशिक्षण का आभास नहीं होता है, तो कार्यकर्ता  की बात तो बहुत दूर है। समाज में इस सबका विस्तार ही तो वर्षो पहले बंगाल का रविन्द्र सरोवर कांड से लेकर  कठुआ और उन्नाव होता है। धरना प्रदर्शन अधिकार है, पर उसकी अनिवार्य शर्त शालीनता है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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