MPPEB: मनमानी परीक्षा फीस के खिलाफ जनहित याचिका

इंदौर। सरकारी नौकरी के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं की फीस को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें कहा है कि बेरोजगारों को नौकरी देने के नाम पर सरकार उनसे परीक्षा फीस के रूप में करोड़ों रुपए वसूल रही है। कुछ दिन पहले ही पटवारी भर्ती परीक्षा के नाम पर प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड ने आवेदकों से 50 करोड़ रुपए वसूल लिए, जबकि रोजगार के अवसर पैदा करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। बहस सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया।

यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता तपन भट्टाचार्य ने दायर की है। बुधवार को उनकी तरफ से सीनियर एडवोकेट आनंद मोहन माथुर ने बहस की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट खुद कह चुकी है कि यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह लोगों के लिए रोजगार पैदा करे और उचित व्यक्ति को उस पर नियुक्त करे। परीक्षा के नाम पर सरकार मोटी फीस वसूल रही है। फीस में समानता भी नहीं है। अलग-अलग परीक्षा के लिए अलग-अलग फीस तय की जाती है जबकि शासन को इसके लिए अलग से अमला तैनात नहीं करना पड़ता। व्यक्ति नौकरी के लिए आवेदन ही इसलिए करता है क्योंकि उसके पास रोजगार नहीं है।

नौ हजार पद के लिए साढ़े 12 लाख आवेदन
एडवोकेट माथुर ने बताया कि हाल ही में पटवारी भर्ती परीक्षा के नाम पर सरकार ने 50 करोड़ रुपए वसूले हैं। नौ हजार पदों के लिए साढ़े 12 लाख आवेदन आए थे। परीक्षा के हफ्तों बाद भी परिणाम घोषित नहीं किया गया। कई बार तो सरकार खुद मनमर्जी से परीक्षा निरस्त कर देती है। ऐसी स्थिति में आवेदक को फीस भी नहीं लौटाई जाती। शासन सिर्फ उतनी ही फीस वसूले जितना परीक्षा पर खर्च आ रहा है। जस्टिस पीके जायसवाल और जस्टिस वीरेंदरसिंह की डिविजनल बेंच ने याचिका पर बहस सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया।

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