
2016 में दुष्कर्म के मामले में हम आठवें स्थान पर आए हैं। अपहरण के मामले में 10, सामूहिक दुष्कर्म के मामले में 21वें स्थान पर हैं। आबादी के हिसाब से देखें तो सभी अपराधों में कमी हुई है। इसके बाद भी महिला अपराध हम लोगों के लिए एक चुनौती है।
जघन्य अपराधों में 15 से लेकर 37 दिन के अंदर कोर्ट में चालान पेश किया गया और अपराधियों को सजा दिलाने में सफलता मिली है। 2017 में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में दो मामलों में मौत की सजा सुनाई गई है। 149 प्रकरणों में आजीवन कारावास, 305 मामलों में 10 साल से ज्यादा की सजा, 128 प्रकरणों में पांच से दस साल और 1 हजार 383 मामलों में पांच साल से कम की सजा हुई है।
शहरों में महिला असुरक्षा के कारणों का होगा सर्वे
गृहमंत्री ने कहा कि छेड़छाड़ की शिकायतें बढ़ी हैं। इसके मद्देनजर यह तय किया है कि बड़े शहरों में स्वतंत्र एजेंसी से वैज्ञानिक आधार पर थर्ड पार्टी सर्वे कराएंगे। इसमें जो असुरक्षा महिलाओं के मन में है, उसकी जानकारी एकत्र करेंगे। इसके कारण और असुविधा भी पता लगाएंगे। इसमें कॉलेज छात्र और एनजीओ से मदद लेंगे। गैर सरकारी व्यक्ति जाएंगे तो लोग उन्हें खुलकर बताएंगे।
पुलिस के सामने लोग खुलकर बात नहीं कर पाते हैं। ऐसे स्थान चि-त किए जाएंगे, जहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं और छेड़छाड़ की घटनाएं होती हैं। इन जगह पर विशेष अभियान चलाकर सख्त कदम उठाए जाएंगे। गड़बड़ी करने वालों को जेल में डालेंगे। महिला सुरक्षा से सरकार कोई समझौता नहीं करेगी।