
पीठ ने कहा, ‘जीएसटी जैसे टैक्स का बहुत प्रचार-प्रसार किया गया और लोकप्रिय बताया गया. इन आयोजनों का कोई मतलब नहीं है. संसद का विशेष सत्र बुलाना या मंत्रिमंडल की विशेष बैठकें बुलाने का करदाताओं के लिए जब तक कोई मतलब नहीं है. अगर उन्हें वेबसाइट व पोर्टल तक आसानी से पहुंच सुनिश्चित नहीं होती है. यह प्रणाली कर अनुकूल नहीं है.’
याचिका में कंपनी ने दावा किया है कि वह जीएसटीएन पर अपनी प्रोफाइल ही नहीं खोल पाई जिस कारण वह न तो ईवे बिल बना पाई और न ही अपना सामान भेज पाई. अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब तलब करते हुए उसे अपना जवाब 16 फरवरी तक दाखिल करने को कहा है. अदालत ने उम्मीद जताई है कि इस नये कानून का परिपालन करने वाले कम से कम अब तो जागेंगे और इच्छित प्रणाली लागू करेंगे.