
अदालत ने एक याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को पक्षकार बनाते हुए स्तनपान के महत्व पर बल दिया। अदालत ने कहा कि मां के दूध का कोई विकल्प नहीं है और ‘‘यहां तक कि तथाकथित पवित्र अमृत भी इसकी बराबरी नहीं कर सकता है।’’ एक महिला सरकारी चिकित्सक की याचिका पर अपने हालिया अंतरिम आदेश में न्यायमूर्ति एन किरूबाकरन ने प्रतिवादियों से 15 सवालों का जवाब देने को कहा।
उस महिला चिकित्सक को इस आधार पर स्नातकोत्तर (पीजी) मेडिकल पाठ्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी कि उसने मातृत्व अवकाश को छोड़कर दो साल की अनवरत सेवा पूरी नहीं की थी। (RIGHT TO BREASTFEEDING)