
मंदिर कर्मचारियों ने उन्हें गर्भगृह में नहीं जाने दिया। नंदीगृह तक पहुंचने से पहले दो बार रोका। लंबे समय तक बहस की। साथ आई दो महिलाओं को चैनल गेट से आगे नहीं जाने दिया। यहां से जाते वक्त अरुणिमा आंसू पोंछते हुए बोलीं- जहां साक्षात भगवान रहते हैं, वहां पर्वत चढ़ने में इतनी दिक्कत नहीं हुई, जितनी यहां दर्शन में हुई। अरुणिमा का नाम यहां मंत्री अर्चना चिटनीस के मेहमान के तौर पर दर्ज था। दिव्यांगों के लिए दर्शन की आदर्श व्यवस्था करने पर महाकाल मंदिर को इसी महीने दिल्ली में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों कलेक्टर संकेत भोंडवे ने लिया था। अब मामले की लीपापोती के लिए अवधेश शर्मा, प्रशासक, महाकाल मंदिर कहते हैं कि मैं मामले को दिखवाता हूं। ऐसा होना नहीं चाहिए। सभी से बात करता हूं कि ऐसा कैसे हो गया।
2011 में पैर गवांया, 2013 में चढ़ी एवरेस्ट
उत्तर प्रदेश में जन्मी अरुणिमा 2011 में लखनऊ ट्रेन में लूट का शिकार हो गई थीं। हादसे में वे एक पैर गवां बैठीं। 2013 में उन्होंने कृत्रिम पैर से 21110 फीट ऊंचाई पर जाकर माउंट एवरेस्ट पर झंडा फहराया।