
पहला बिंदु यह कि 103 प्रोफेसरों की नियुक्ति नियमों को ताक पर रखकर हुई है। इन सभी ने 8 तरह के फर्जी सर्टिफिकेट लगाए। किसी ने तीन बच्चों की जानकारी छिपाकर गलत सर्टिफिकेट लगाया तो किसी ने पीएचडी अवॉर्ड होने के बाद 10 साल के अनुभव का फर्जी सर्टिफिकेट लगाया।
दूसरा बिंदु यह कि जबलपुर हाईकोर्ट सहित इंदौर और ग्वालियर खंडपीठ में चल रहे कुल 4 केस को नजरअंदाज कर किस आधार पर 171 का प्रोबेशन पीरियड खत्म किया गया। ये कोर्ट की अवमानना है। शिकायतकर्ता पंकज प्रजापति के अनुसार जनवरी के पहले सप्ताह में याचिका लगाएंगे। सीबीआई जांच की भी मांग करेंगे।