BJP नेता के इशारे पर SDM ने कांग्रेसियों की दुकानें तोड़ दीं थीं: RTI का खुलासा | BALAGHAT NEWS

सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि 21 मार्च 2005 को एसडीएम द्वारा तोड़ी गईं 16 दुकानों के पीछे कोई कारण ही उपलब्ध नहीं था। जमीन नगरपालिका की थी और राजस्व विभाग में इस संदर्भ में कोई प्रकरण ही पंजीबद्ध नहीं था। सवाल उठता है कि फिर एसडीएम ने दुकानों पर बुल्डोजर क्यों चलवाया। पीड़ितों का आरोप है कि वो कांग्रेसी विचारधारा के लोग हैं और भाजपा जिलाध्यक्ष का विरोध कर रहे थे इसलिए उनकी दुकानों को अवैध रूप से अतिक्रमण बताकर तोड़ दिया गया है। 

आरटीआई में क्या पता चला 
जिले के तहसील मुख्यालय वारासिवनी में नेहरू चौक स्थित भूमि पर आंबटित लीज पर बनी 16 दुकानों को 21 मार्च 2005 को शासकीय भूमि पर अतिक्रमण बताते हुये समीर लकरा तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा बुलडोजर से तुडवा दी गई थी। उस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत अनुविभागीय अधिकारी राजस्व वारासिवनी द्वारा अवगत कराया गया है कि तहसीलदार वारासिवनी के सन 2004-2005 के न्यायालीन अभिलेखों में आवंटित भूमि के संबंध में अतिक्रमण किये जाने के प्रकरण दर्ज नही है।

एसडीएम की कार्रवाई गलत थी
सूचना के अधिकार के तहत दी गई इस जानकारी के आधार पर कहा जा सकता है कि अनुविभागीय अधिकारी राजस्व वारासिवनी द्वारा नजूल सीट क्रमांक 10सी प्लाट क्रमांक 60, रकबा 3527 वर्गमीटर जो मध्यप्रदेश शासन नजूल भूमि पर अतिक्रमण किये जाने के फर्जी प्रकरण बनाये गये और आवंटित भूमि पर बनी दुकानों को बुलडोजर से तोड दिया गया।

यह हुई थी कार्रवाई 
यह उल्लेखनीय है कि तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी समीर लकरा द्वारा 23 फरवरी 2005 को मुख्य नगर पालिका अधिकारी वारासिवनी को पत्र प्रेषित कर निर्देशित किया गया था की नजूल भूमि सीट क्रमांक 10सी प्लाट नंबर 60 रकबा 3527 वर्गमीटर मध्यप्रदेश शासन नजूल खूली भूमि में 23/02/2005 को अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई तथा शासकीय नजूल भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया। 

इस भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराये जाने के फलस्वरूप आईडीएसएमटी योजना में लिया जाकर हाकर्सजोन एवं पार्किंग के लिये प्रस्तावित की गई है अत इस प्रयोजन के लिये बतौर जैरर निगरानी के रूप में अपने प्रबंधन में रखे तथा जिस स्तर से अतिक्रमण हटाया गया है। उस पर पुन: अतिक्रमण ना होने पाये तथा पार्किंग एवं हाकर्स जोन के रूप में क्षेत्र का विकास करें यदि भविष्य में किसी के द्वारा अतिक्रमण करने का प्रयास किया जाता है तो सख्त कार्यवाही करते हुये अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करें तथा आवश्यकतानुसार इस हेतु आवश्यक पुलिस बल प्राप्त करें।
इस पत्र की प्रतिलिपि कलेक्टर बालाघाट, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस वारासिवनी,तहसीलदार वारासिवनी तथा थाना प्रभारी वारासिवनी को प्रेषित की गई। 

जमीन नजूल की थी ही नहीं 
यह उल्लेखनीय है कि जिस भूमि को शासकीय नजूल भूमि बताकर अतिक्रमण हटाया गया है वह भूमि नगर पालिका परिषद वारासिवनी के स्वामित्व में भूमि स्वामि की हक की खसरा नंबर 145,146 में दर्ज है तथा जिसका उल्लेख परिषद के संम्पत्ति रजिस्टर में दर्ज है। उल्लेखित भूमि में दिनांक 19/07/2008 की स्थिति में मालिकाना हक में कोई परिवर्तन नही हुआ है। इस आशय की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा 1092 दिनांक 19/07/2008 द्वारा प्रदान की गई है।

इसके बावजूद राजनैतिक तथा व्यक्तिगत दुर्भावनाओं के चलते तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष डॉ.योगेन्द्र निर्मल ने जो वर्तमान में वारासिवनी-खैरलांजी क्षेत्र के विधायक है ने नगर पालिका के स्वामित्व की भूमि को शासकीय नजूल भूमि बताते हुये अनुविभागीय अधिकारी राजस्व वारासिवनी को पत्र लिखकर इस भूमि पर किये गये अतिक्रमण को हटाये जाने की कार्यवाही की जाए।

नगरपालिका ने लीज निरस्त कर दी
इतना ही नही डॉ.योगेन्द्र निर्मल ने परिषद की सामान्य सभा की बैठक दिनांक 19/2/2005 को परिषद द्वारा 16 व्यक्तियों को दी गई लीज अवैध मानते हुये निरस्त कर दी तथा उक्त भूमि पार्किंग एवं हाकर्स जोन के लिये प्रस्तावित की गई। लीज निरस्त होने पर लीजधारियों ने परिषद के निर्णय के विरूद्ध मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की शरण ली।

हाईकोर्ट ने स्टे दिया था
माननीय न्यायालय ने स्थगन आदेश देते हुये जिला कलेक्टर को सुनवाई और उसपर आवश्यक निर्णय देने का सशर्त आदेश दिया की यदि जिला कलेक्टर द्वारा कोई आदेश पारित किया जाता है तो उस पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही अपत्तिकर्ता को आदेश की प्रति प्राप्त होने के समय से 3 दिन तक निस्प्रभावी रहेगी लेकिन कलेक्टर बालाघाट द्वारा पारित किये गये 18/03/2005 के आदेश की प्रति आवेदकों को उपलब्ध नही कराई गई और 21/03/2005 को प्रात 9 बजे से 10.30 बजे के बीच नगर पालिका की भूमि स्थित दुकानों को बिना किसी पूर्व सूचना के एवं उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा दिये गये आदेश की समय सीमा को नजर अंदाज करते हुये बुलडोजर से तोड दिया गया इतना ही नही दुकानों में रखा हुआ सामान और उसका मलवा भी दुकानदारों को सुपूर्द नही किया गया।

अब नया क्या खुलासा हुआ
अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा 21/12/2017 सूचना के अधिकार के तहत दी गई इस जानकारी से की तहसीलदार वारासिवनी के दायरा पंजी में वर्ष 2004-2005 में अतिक्रमण किये जाने विषयक कोई प्रकरण दर्ज नही है। इससे साबित होता है की तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष डॉ.योगेन्द्र निर्मल तथा तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने गलत दस्तावेज बनाकर कलेक्टर के यहां अतिक्रमण का प्रकरण दर्ज करवाया और नगर पालिका की भूमि पर स्थित लीजधारीयों की दुकानों को बुलडोजर से तुडवा दिया गया।

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