भोपाल। भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल करने की कवायद एक बार फिर शुरू हो गई है। अगर ऐसा होता है तो यह भोपाल के लिए बड़ा बदलाव होगा। आज से प्रशासन अकादमी में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेस एण्ड एक्सपो आॅन राजा भोज की शुरुआत हुई है। आयोजन में मुख्य अतिथि के तौर पर महापौर आलोक शर्मा शामिल हुए। इनके साथ जयंत सहस्त्रबुद्धे, अशोक पांडे, रविंद्र आर कान्हारे, अमोघ गुप्ता और प्रभाकर आप्टे सहित देश विदेश के कई ऐसे विद्वान मौजूद थे जो राजाभोज के वैदिक काल पर शोध कर रहे हैं।
इस अवसर महापौर आलोक शर्मा ने उपस्थित जनों से कहा कि मेरे पास कई लोग आते हैं और कहते हैं कि आप शहर को स्मार्ट बना रहे हैं यह अच्छी बात है। पहले यह शहर वैदिक था। राजा भोज ने इस शहर को बसाया था। इसलिए इसका नाम भोजपाल कर दिया जाए। पहले भी शहर का नाम भोजपाल ही था जो बाद में अपभ्रंश स्वरूप भोपाल हो गया। अब इसके मूल स्वरूप में लाने की जरूरत है। इस दौरान महापौर ने एक्सपर्ट की राय मांगी। महापौर ने कहा कि राजा भोज के वैदिक नगर की खोज होनी चाहिए।
भोजपाल को कैसे भोपाल कर दिया, इसे हम फिर से भोजपाल करेंगे। आप सभी की मंशा है और सहमति है, तो इस पर आने वाले समय पर काम होगा। मैं स्वयं इसका शंखनाद भोपाल की सड़कों पर करूंगा। सैटेलाइट चित्रों में ऐसा आया है कि बड़ी झील में हमीदिया हॉस्पिटल के पीछे वाले हिस्से में पानी के अंदर कोई पुराना शहर है। महापौर ने शोधार्थियों से कहा है कि इस विषय में शोध किया जाए। राजाभोज द्वारा लिखित ग्रंथ समरागढ़ सूत्रधार में लिखा है कि इस शहर के 12 दरवाजे थे। वैदिक रीति नीति के हिसाब से इसको बसाया गया था, जिसको आज चौक बाजार बोलते हैं वो सभा मंडप था। इतिहास के अनुसार राजाभोज के पोते उदयादित ने यहां पर शासन किया था। उनकी पत्नी का नाम श्यामली था। यही कारण है कि एक हिस्से का नाम श्यामला हिल्स है।