
बता दें कि सीएम शिवराज सिंह चौहान सरकार ने पहले 4 नवम्बर फिर 26 नवम्बर और तीसरी बार 17 दिसम्बर को सम्मेलन का ऐलान किया था। अध्यापकों को उम्मीद थी कि इस सम्मेलन में 6वें वेतनमान का विवाद सुलझ जाएगा और शिक्षा विभाग में संविलियन का भी रास्ता निकल आएगा। इसके अलावा अध्यापक उम्मीद लगाए बैठे थे कि उनकी सभी समस्याओं का समाधान एक साथ हो जाएगा और फिर उन्हे बार बार सरकार के खिलाफ शक्तिप्रदर्शन नहीं करना पड़ेगा।
बता दें कि हाल ही में छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों ने एतिहासिक विरोध प्रदर्शन किया। रमन सिंह सरकार के साथ हुए सीधे संघर्ष के बाद संविलियन छोड़कर उनकी सभी मांगे मान ली गईं। रमन सिंह सरकार ने एक कमेटी का गठन कर दिया है जो 3 माह के भीतर सभी मांगों को पूरा करने की सिफारिश करेगी। मध्यप्रदेश में शायद सरकार को पता है कि छत्तीसगढ़ जैसा कुछ नहीं होगा।