भोपाल। मध्यप्रदेश पटवारी परीक्षा जैसे 12 लोग बेरोजगारों के सामूहिक शोषण का जरिया बन गई है। परीक्षा केंद्र पर बायोमेट्रिक मशीन धीरे काम करती है और लाइन में लगे उम्मीदवारों को यह कहकर भगा दिया जाता है कि वो देरी से आए थे। परीक्षा केंद्र के अंदर गाड़ी की चाबी रखने का भी अलग से किराया देना पड़ रहा है। गजब तो देखिए भोपाल में रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर दूर स्थित परीक्षा केंद्र का 1200 रुपए तक चार्ज किया जा रहा है। हालात यह है कि 80 की जगह 800 और 120 की जगह 1200 की वसूली की जा रही है। प्रोफेलशन एग्जामिनेशन बोर्ड उम्मीदवारों को मजबूर कर रहा है और परीक्षा केंद्र से लेकर पब्लिक व प्राइवेट परिवहन तक हर कोई उनकी मजबूरियों का फायदा उठा रहा है।
कोहरे के कारण ट्रेनें लेट हैं, दूसरा मौका दें
शुक्रवार को भी बड़ी संख्या में परीक्षार्थी केंद्रों पर देरी से पहुंचने और बायोमेट्रिक मशीन से पहचान नहीं हो पाने के कारण परीक्षा नहीं दे पाए। सुबह की शिफ्ट में जो परीक्षार्थी परीक्षा देने से वंचित हुए थे वे अपनी शिकायत लेकर बोर्ड पहुंचे। परीक्षार्थियों का कहना है कि कोहरे के कारण ट्रेन काफी लेट हो रही है। सेंटर भी शहर से काफी दूर होने के कारण पब्लिक ट्रांसपाेर्ट से समय पर पहुंचना मुश्किल हो रहा है। ऑटो चालक 800 से 1200 रुपए तक चार्ज कर रहे हैं।
प्रीपेड बूथ बंद है, आरटीओ कार्रवाई क्यों नहीं करता
पब्लिक ट्रांसपाेर्ट की यह लूट मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हो रही है। सवाल यह है कि परिवहन विभाग कार्रवाई क्यों नहीं करता। क्यों आरटीओ में शिकायत करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। क्यों आरटीओ शिकायतों से बचकर भागने की कोशिश करता है। इस तरह की लूट के समय आरटीओ का कोई कर्मचारी भी रेलवे स्टेशन पर आरटीओ का हिस्सा वसूलने के लिए मौजूद रहता है। यहां यह नहीं माना जा सकता कि बिना पुलिस और आरटीओ की सरपरस्ती के 120 की जगह 1200 रुपए वसूलने की हिम्मत कोई आॅटो चालक कर सकता है।
भोपाल स्टेशन पर यात्री को किडनैप कर लेते हैं आॅटो चालक
भोपाल रेलवे स्टेशन पर आॅटो चालकों की दादागिरी को आज तक कोई सरकारी सिस्टम तोड़ नहीं पाया। यहां यात्री को एक तरह से किडनैप कर लिया जाता है। जिस आॅटो चालक से यात्री ने सबसे पहले बात की, यात्री उसी का हो जाता है। फिर वो कितने भी आॅटो चालकों से बात करे, उसे वही किराया बताया जाता है जो सबसे पहले वाले ने बताया था। कभी कभी तो उससे भी ज्यादा बताया जाता है ताकि यात्री मजबूर हो जाए उसी आॅटो चालक के साथ जाने के लिए। आॅटो चालकों का रैकेट है जो इशारों में बात करता है। इनके बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। यात्री को मजबूर किया जाता है और मनमानी वसूली की जाती है।