
बोर्ड बैठक में सुनवाई के दौरान कुछ इस तरह के संवाद बोर्ड सदस्य और होटल प्रबंधन के वकील के बीच हुए।
वकील- होटल प्रबंधन के अलावा दुकानदारों की अलग से सुनवाई चल रही है उन्होंने क्या जवाब दिया? हमें उसकी कॉपी चाहिए।
बोर्ड- वो अब आपको क्यों चाहिए। जब सुनवाई का नोटिस दिया गया था, तब भी आप उसकी मांग कर सकते थे।
वकील- हमें अपना पक्ष ठीक तरह से रखना है इसलिए उनके जवाब भी चाहिए।
बोर्ड- दो साल हो गए है। कई बार होटल प्रबंधन की तरफ से सुनवाई के लिए कोई उपस्थित नहीं हुआ। ऐसा प्रतीत होता है कि आप समय बढ़ाने के लिए दस्तावेज मांग रहे हैं। वैसे भी आपने जो आवेदन दिया है उसमें आप दुकानदारों का उल्लेख कर रहे हैं। यानी आप भी मान रहे हैं कि दुकानें बनाई गई है। यह लीज शर्तों का उल्लघंन है और आपकी लीज निरस्त की जाती है।
अब आगे क्या
होटल प्रबंधन कोर्ट की शरण ले सकता है और आईडीए के लीज निरस्ती के फैसले को फिर चुनौती दे सकता है। आईडीए कब्जा पाने के लिए नोटिस देगा। कब्जा नहीं मिलने की स्थिति में आईडीए भी कोर्ट की शरण ले सकता है।
ये है पर्दे के पीछे की कहानी
दो साल पहले जब लीज निरस्ती का नोटिस आईडीए ने होटल प्रबंधन को दिया था और सुनवाई के लिए उसे उपस्थित होना था, लेकिन बार-बार सुनवाई का समय बढ़ाने की कवायद होती रही। कभी बोर्ड ने बैठक के समय में फेरबदल किया तो कभी होटल प्रबंधन ने सात दिन पहले उपस्थिति का नोटिस नहीं दिए जाने पर सवाल उठाते हुए सुनवाई के लिए उपस्थित होने से इनकार कर दिया। दो साल तक इस तरह की प्रक्रिया चलती रही, जिससे बोर्ड पर सवाल उठने लगे।
सुनवाई के लिए सीईओ को अधिकृत किया तो होटल प्रबंधन ने कहा कि पहले सुनवाई बोर्ड के समक्ष हुई है और सीईओ को सुनने का अधिकार नहीं है। होटल प्रबंधन ने इस मामले में हाईकोर्ट की शरण ली और यह कदम उसके लिए भारी पड़ गया। कोर्ट ने आदेश दिया कि बोर्ड के समक्ष ही सुनवाई हो, लेकिन होटल प्रबंधन को सुनवाई में उपस्थित होना पड़ेगा और बुधवार को सुनवाई में होटल प्रबंधन की तरफ से वकील उपस्थित हुए। बोर्ड ने लीज निरस्ती का फैसला सुना दिया।
बगैर अनुमति बनाई दुकानें
होटल की लीज को लेकर शिकायत आई थी। जांच में पाया गया था कि प्लॉट के अलग-अलग टुकड़े कर बेचा गया और बगैर अनुमति के 20 से ज्यादा दुकानें भी बना ली गई। लीज निरस्ती के नोटिस के बाद दो साल से सुनवाई के लिए अलग-अलग तारीख दी गई थी, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अनावश्यक देरी की मंशा से दस्तावेजों की मांग की जा रही थी। बोर्ड ने सुनवाई के बाद लीज निरस्ती का फैसला ले लिया।
शंकर लालवानी, अध्यक्ष, आईडीए
ये था मामला
स्कीम-54 में 27 हजार वर्गमीटर का एच-1 प्लॉट 1993 में होटल उपयोग के लिए सयाजी होटल प्रालि को आईडीए ने बेचा था। प्लॉट का लैंडयूज होटल उपयोग का था, लेकिन वहां मैरेज गार्डन भी बना लिए गए थे। दुकानों का निर्माण भी कर लिया गया था। एक ही प्लॉट की 35 से ज्यादा रजिस्ट्रियां होने की शिकायत भी हुई थी, जिसे आईडीए ने लीज शर्तों का उल्लघंन माना था। लीज निरस्ती के नोटिस 7 वर्षों में कई बार आईडीए को दिए जा चुके हैं।