
कांग्रेस के वक्त भी ऐसा किया गया
जेटली ने एक सवाल के जवाब में कहा, "ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। ये कांग्रेस के शासन में भी कई बार हुआ। पार्लियामेंट सेशन और इलेक्शन एक साथ नहीं हो सकते। कांग्रेस के शासन में भी जब इलेक्शन होती थीं तो पार्लियामेंट की डेट्स एडजस्ट की जाती थीं।"
जनता सबसे अहम, उसे प्राथमिकता मिलेगी
उन्होंने कहा, "ऐसा करने के पीछे लोकतंत्र में एकदम साफ कारण बताया गया है। जनता सबसे अहम है और उसे प्राथमिकता मिलेगी। इसलिए जब आप जनता के सामने मुद्दों पर बहस कर रहे होते हैं तो पार्लियामेंट सेशन उस वक्त नहीं चल सकता।"
इस बार 14 दिन चलेगा
पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर अनंत कुमार ने बताया कि 25 एवं 26 दिसंबर को क्रिसमस का अवकाश रहेगा। सेशन 14 दिन का होगा। विंटर सेशन 15 दिसंबर से 5 जनवरी तक 14 दिन चलेगा। यह फैसला पार्लियामेंट्री अफेयर्स की कैबिनेट मीटिंग में लिया गया।
पिछले साल क्या हुआ था
पिछले साल विंटर सेशन 16 नवंबर से 9 दिसंबर तक रहा। नोटबंदी का विपक्ष ने विरोध किया और हंगामे की वजह से कामकाज नहीं हो सका था। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक, इस सेशन में लोकसभा में 16% तो राज्यसभा में 18% ही प्रोडक्टिविटी रही है। यानी एवरेज 17% कामकाज हुआ। यह मोदी सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में लोकसभा की सबसे कम प्रोडक्टिविटी थी।