कटनी हवाला कांड: सरावगी और मिस्त्री की बेनामी संपत्ति अटैच | MP NEWS

इंदौर। शिवराज सिंह सरकार के मंत्री संजय पाठक के कारण सुर्खियों में आए 200 करोड़ के कटनी हवाला कांड में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहली कार्रवाई करते हुए सरावगी व मिस्त्री परिवार की कुछ बेनामी संपत्तियां अटेच कर लीं हैं। ईडी के मुताबिक अटैच की गई जमीन मुख्य आरोपी मनीष सरावगी व मानवेंद्र मिस्त्री ने हवाला के कमीशन से खरीदी थी। खरीदते वक्त रिकॉर्ड पर इनकी कुल कीमत 2.65 करोड़ रुपए दर्ज की गई थी। अटैच की गई जमीन की खरीद में फर्जी अकाउंट्स और डमी कंपनियां का इस्तेमाल किया गया।

ईडी द्वारा अटैच की गई संपत्तियों में रायपुुर के 5 भूखंड कंपनी नीरनिधि मार्केटिंग प्रा.लि (एनएमपीएल) के नाम से है। इनकी खरीदी कीमत 2.31 करोड़ है। इसके अलावा 17 भूखंड मनीष सरावगी व उसके परिवार के नाम से हैं। इनकी खरीदी कीमत 28 लाख 69 हजार 656 रुपए बताई गई है। साथ ही एक भूखंड मानवेंद्र मिस्त्री की पत्नी के नाम से भी है जिसकी खरीदी कीमत 4 लाख 93 हजार 710 रुपए बताई गई है। बीते साल कटनी हवाला कांड का खुलासा हुआ था। कई हाइप्रोफाइल लोगों के तार हवाला कांड से जुड़े थे। 

39 अकाउंट में 200 करोड़
ईडी की जांच में सामने आया है कि मनीष सरावगी, सतीश सरावगी और मानवेंद्र मिस्त्री ने अपने कर्मचारियों के सहयोग से 39 बैंक खातों में कुल 200 करोड़ रुपए से ज्यादा जमा किए थे। गरीब लोगों के नाम पर ये सभी खाते एक्सिस बैंक में फर्जी तरीके से खुलवाएं गए। इनमें ऐसे तमाम लोगों के केवायसी दस्तावेजों को धोखे से हथियाकर उसका दुरुपयोग किया गया। बाद में इन रुपयों को सरावगी परिवार के लोगों के नाम से खुली डमी कंपनियों के जरिए रोटेट कर हासिल किया गया। इस तरह की डमी कंपनियों के खातों से लगातार पैसा नीरनिधि मार्केटिंग नामक सरावगी की कंपनी के अकाउंट में आरटीजीएस किया जाता रहा। इसी पैसे का उपयोग अटैच की गई संपत्तियों को खरीदने में भी हुआ।

साथ ही इन फर्जी अकाउंट्स और फर्मों के जरिए साउथ ईस्टर्न कोल्ड फील्ड्स से भी सब्सिडी वाला कोयला खरीदा गया। बाद में उसे कटनी के बाहर देशभर में बेच दिया गया। धोखाधड़ी की इस काली कमाई को सफेद करने के लिए भी बेंगाल क्रेडिट कार्पोरेशन, साईंबाब फिनवेस्ट और एमएसवी लिजिंग जैसे कई कंपनियों का नाम उपयोग किया गया। ये सभी कंपनियां सतीश सरावगी के नियंत्रण में थी। 

पुलिस से ईडी तक
कटनी हवाला कांड का खुलासा उस समय हुआ था जब कुछ लोगों को इनकम टैक्स के नोटिस मिले। रजनीश तिवारी नामक बीपीएल कार्डधारी ने स्थानीय पुलिस को उस वक्त शिकायत की थी जब उसे इनकम टैक्स का नोटिस मिला। तिवारी ने पुलिस को शिकायत में बताया कि जब उसने इनकम टैक्स से पता किया तो उसके नाम से एसके मिनरल्स नामक फर्म संचालित होने का पता लगा। उसी के खातों से 20 करोड़ का लेनदेन हुआ था।

पुलिस ने मामले में धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया था। मानवेंद्र मिस्त्री ने तिवारी से नौकरी के नाम पर उसके दस्तावेज लिए थे। जिनका उपयोग कंपनी बनाने और खाते खुलवाने में किया गया। गरीबी रेखा के नीचे दर्जा लिस्ट में शामिल होने के बावजूद उनके अकाउंट में लाखों रुपए जमा होने पर नोटिस भेजे थे।

एक शख्स नोटिस के बाद पुलिस में पहुंचा और शिकायत की कि न तो उसका एक्सिस बैंक में अकाउंट है न ही इतना पैसा कि वह जमा करे। बाद में पुलिस ने मानवेंद्र मिस्त्री, संदीप बर्मन, सतीश सरावगी के नाम पर एफआईआर दर्ज करते हुए चार्जशीट पेश की थी। आयकर के साथ ईडी भी मामले में जांच कर रहा है।

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