नौकरी देने से पहले बांड भरवाएगी पुलिस | MP GOVT JOB

भोपाल। कई सारे बेरोजगार अच्छी नौकरी की तैयारी करते हैं परंतु जब तक मनपसंद नौकरी नहीं मिलती, तब तक के लिए कोई भी सरकारी नौकरी कर लेते हैं लेकिन अब ऐसे युवा बेरोजगार मप्र पुलिस की नौकरी नहीं कर पाएंगे क्योंकि चयन परीक्षा पास करने के बाद और ट्रेनिंग शुरू होने से पहले मप्र पुलिस एक बांड भरवाएगी। अभ्यर्थी निर्धारित शर्तों को पूरा किए बिना नौकरी नहीं छोड़ सकेगा। यह बांड डीएसपी से लेकर आरक्षक तक सभी पदों के लिए लागू होगा। 

प्रदेश पुलिस की प्रशिक्षण शाखा ने अपनी एक रिपोर्ट में पाया कि नौकरी की चाह में युवा पुलिस में आ तो जाते है, लेकिन अच्छी नौकरी की तलाश करते रहे और जैसे ही उन्हे मनमाफिक नौकरी मिली वो चलती ट्रैनिंग को बीच में ही छोड़कर भाग गए। यह एक बड़ा आंकड़ा बन गया है जो अधिकारियों के लिए परेशानी पैदा कर रहा है। इससे सरकार को ट्रेनिंग पर किए गए खर्च का नुकसान हो रहा है। इस साल भी करीब 100 युवा ट्रेनिंग को बीच में ही छोड़कर चले गए। 

इस रिपोर्ट के बाद अब पुलिस मुख्यालय ने तय किया है कि वह ट्रेनिंग से पहले सभी से बांड भरवाएगा। बांड भरवाने का प्रस्ताव तैयार हो रहा है। प्रस्ताव बनने के बाद इसे शासन के पास भेजा जाएगा। यदि मंजूरी हुआ तो डीएसपी, सूबेदार, उपनिरीक्षक और आरक्षक के पदोें की ट्रेनिंग को एक बांड भरना होगा। इसके बाद कोई भी प्रशिक्षणार्थी नौकरी छोड़कर नहीं जा सकेगा। 

आदेश का हो रहा विरोध
ट्रेनिंग में 85 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य करने का विरोध शुरू हो गया है। ट्रेनिंग करने वालों कुछ युवाओं के पालकों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी तक को ज्ञापन दिए हैं। जिसमें उन्होंने यह बताया है कि प्रशिशु को यूपीएससी, पीएससी या वरीयता वाली परीक्षाओं में शामिल होने के लिए छूट खत्म कर दी गई है। उधर पुलिस प्रशिक्षण शाखा के आला अफसरों ने इस तरह के आदेश जारी होने से इंकार किया है। उन्होंने बताया है कि ट्रेनिंग में 85 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य की गई है। 15 प्रतिशत मिलने वाली छुट्टी में प्रशिक्षु कोई भी परीक्षा देने के लिए स्वत्रंत है।

इतने कर रहे ट्रेनिंग
डीएसपी के दो बैच में करीब 80 प्रशिक्षु को ट्रेनिंग दी जा रही है। वहीं 718 सूबेदार और उपनिरीक्षकों ट्रेनिंग ले रहे हैं। जबकि 4501 आरक्षक इन दिनों ट्रेनिंग ले रहे हैं। आदेश में किसी को भी परीक्षा देने से नहीं रोका जा रहा है। हमने ट्रेनिंग के दौरान 85 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य की है, 15 फीसदी  छुट्टी में अभ्यर्थी कोई भी परीक्षा देने के लिए स्वतंत्र है। ट्रेनिंग बीच में छोड़कर जाने वालों के कारण शासन को नुकसान होता है। नुकसान को रोकने के लिए बांड भरवाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
अशोक अवस्थी, एडीजी प्रशिक्षण
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