
मुनमुन ने अपनी आपबीती बताते हुए लिखा है, ऐसा कुछ लिख रही हूं, जिसे बचपन में जीते हुए मेरी आंखों में आंसू आ गए थे। मेरे पड़ोस के एक अंकल मौका पाकर मुझे बाहों में जकड़ लिया करते थे और मुझे धमकाते थे कि मैं ये सब किसी को न बताऊं।
इसी तरह उम्र में मुझसे काफी बड़ा कजिन मुझे गंदी नजरों से देखता था। वह डॉक्टर भी, जिसने मुझे मेरे जन्म के दौरान हॉस्पिटल में देखा था और 13 साल बाद मुझे गलत इरादों से छुआ। उसे लगा कि अब मैं बड़ी हो चुकी हूं। मुनमुन ने आगे बताया कि मेरे ट्यूशन टीचर ने मेरे अंतः वस्त्रों में हाथ डाल दिए थे। मेरा एक अन्य टीचर जिसे मैं राखी बांधती थी, वह क्लास में लड़कियों की ब्रा खींचकर उन्हें डांटता था और उनके सीने पर थप्पड़ मारा करता था।
बकौल मुनमुन, यब सब इसलिए होता है क्योंकि आप उम्र में छोटे होते हैं और किसी से कहने से डरते हैं। आप नहीं जानते कि अपने पैरेंट्स या किसी और को अपनी बात कैसे समझाएं। यहीं से पुरुषों के खिलाफ गहरी नफरत शुरू होती है। क्योंकि आप जानते हो कि जो कुछ आपने सहन किया है, उसके लिए वे ही दोषी हैं।
मुनमुन का कहना है, #MeToo के तहत आई कहानियां सुनकर पुरुष हैरान हैं, जबकि ये चौंकने वाली बात नहीं है। यह आपके घर के बैकयार्ड में ही हो रहा है। आपके घर में, आपकी ही बहन, बेटी, मां और पत्नी के साथ हो रहा है। यहां तक कि आपकी काम वाली के साथ भी। कभी उसका भरोसा जीतकर उससे पूछिए।