
महाराज पर आरोप है कि उन्होंने मानसिंघा को धोखा देते हुए रुपए अपने संस्थान जनजागृति मिशन के खाते में जमा करवा लिए थे। महाराज ने कहा था कि इस रकम पर आयकर में छूट मिलेगी। संस्थान के पास धारा-88 के तहत आयकर विभाग का सर्टिफिकेट है। जब मानसिंघा को छूट नहीं मिली तो उन्होंने जानकारी निकलवाई। खुलासा हुआ कि आयकर विभाग ने महाराज के संस्थान को ऐसा कोई सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया है। पुलिस ने महाराज और संस्थान के सेक्रेटरी देवराज कटारिया पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया।
महाराज की तरफ से हाई कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया गया। कोर्ट ने महाराज को इस शर्त पर जमानत दी थी कि वे कोर्ट को जानकारी दिए बगैर विदेश यात्रा नहीं करेंगे, लेकिन वे यात्रा पर चले गए। मानसिंघा चैरिटीज ट्रस्ट ने एडवोकेट विजय आसुदानी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी जमानत निरस्त करने और पासपोर्ट जब्त करने की मांग की, जिस पर कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।