
मप्र के सरकारी महाविद्यालयों में करीब 4200 अतिथि विद्वान पढ़ा रहे हैं। इन अतिथि विद्वानों को अब तक 200 रुपए प्रति लेक्चर के हिसाब से मानदेय दिया जाता था। एक अतिथि विद्वान सिर्फ 3 लेक्चर रोज ले सकता था। इसके अलावा लाइब्रेरियन और खेल शिक्षक को 580 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय मिलता था। उच्च शिक्षा विभाग के नए प्रस्ताव के तहत सभी अतिथि विद्वानों का मानदेय 25 हजार रुपए प्रतिमाह हो जाएगा। लिहाजा सभी अतिथि विद्वानों को बढ़ा हुआ मानदेय ही मिलेगा।
25 हजार रुपए से ज्यादा नहीं हो सकता मानदेय
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के मुताबिक कोई भी राज्य सरकार अतिथि विद्वानों को 25 हजार रुपए प्रति माह से ज्यादा मानदेय नहीं दे सकती। इसका मतलब यह है कि राज्य सरकार अभी तो अतिथि विद्वानों का मानदेय बढ़ा रही है, लेकिन आगे इसमें बढ़ोतरी की संभावना नहीं है।
अतिथि विद्वानों को नियमित करें
राज्य सरकार का यह कदम अस्थाई है। सरकार अतिथि विद्वानों को संविदा पर ही रखना चाहती है। हमारी मांग है कि 15 से 20 सालों से काम कर रहे अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाए। - देवराज सिंह, अध्यक्ष, अतिथि विद्वान महासंघ