बलात्कारी बाप को सजा देने गवाह सबूतों की जरूरत नहीं: हाईकोर्ट | CRIME NEWS

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर रेप करने वाला पिता हो तो विक्टिम के बयान को सबूत के तौर पर मान्यता दे सकते हैं। दोषी पिता की पिटीशन पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने वकील की यह दलील खारिज कर दी कि पीड़िता के बयानों में विरोधाभास है। हाईकोर्ट ने कहा कि मेडिकल जांच में लड़की के साथ रेप की पुष्टि हुई है। अब इसमें यह मायने नहीं रखता है कि विक्टिम घटना की तारीख और महीने को लेकर कोई सही जानकारी नहीं दे पाई। 

लोअर कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई थी
हाईकोर्ट जज प्रतिभा रानी ने कहा कि विक्टिम पढ़ी-लिखी नहीं है। ऐसे में यह जरूरी नहीं कि उसे महीने, तारीख की सही जानकारी हो। विक्टिम के वकील के मुताबिक, 2008 में दोषी की पत्नी की मौत हो गई। इसके बाद उसने बेटी के साथ रेप करना शुरू कर दिया और विरोध पर पीटता भी था। 17 साल की विक्टिम ने पिता के खिलाफ केस दर्ज कराया। लोअर कोर्ट ने 2009 में दोषी पिता को 7 साल की सजा सुनाई थी। उसने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

जुवेनाइल जस्टिस फंड के इस्तेमाल पर SC नाखुश
उधर, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जुवेनाइल जस्टिस फंड जमा करने और उसका इस्तेमाल करने पर सोमवार को नाखुशी जाहिर की। साथ ही कहा, लगता है कि इस देश के बच्चे प्रासंगिक नहीं रहे हैं। केंद्र द्वारा राज्यों में जमा हुए और उपयोग किए फंड की जानकारी पेश करने पर शीर्ष कोर्ट ने यह टिप्पणी की।

पिटीशन पर सुनवाई कर रही जस्टिस एमबी लोकुर और दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि किसी ने कुछ नहीं किया। याचिका में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और उसके नियमों के अमल की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि कल्याणकारी कार्यक्रम लागू करने में सरकारों का रवैया उदासीन है।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!