
इधर सिवनी से खबर आ रही है कि भावांतर भुगतान योजना ये योजना किसानों के सर के ऊपर से निकल रही है। वहीं योजना का संचालन जिन विभागों को दिया गया है, वही पलीता लगाने में जुट गए हैं। क्रांति एकता परिषद ने कृषि उपज मंडी विभाग की पोल खोल दी है। आदिवासी अंचल घंसौर ब्लॉक के ने खोल दी की क्रांति एकता परिषद ने घंसौर ब्लॉक के गांवों के मुखिया के साथ बैठक कर कृषि विभाग की लापरवाही पर विचार विमर्श किया गया इस दौरान किसानों ने बताया कि प्रदेश सरकार की भावांतर योजना के चलते किसानों को परेशानी हो रही है।
मंडी में किसानों को फसल बेचने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों की फसल खरीदने के लिए व्यापारी सिंडिकेट बना कर केवल 1100 रूपये के भाव से खरीदने का प्रयास कर रहे हैं। किसान व्यापारियों को कम दाम मे फसल बेचना तो नहीं चाहता, लेकिन किसानों के पास फसल रखने के संसाधन न होने की वजह से वे फसल कम दाम में भी बेचने को मजबूर हैं।
गौरतलब है कि आदिवासी अंचल में एक भी सरकारी वेयर हाऊस नहीं है और निजी वेयर हाऊस पहले से ही फुल है, जिसके चलते क्षेत्र के करीब 2 लाख किसान कम दाम पर फसल बेचने को मजबूर हैं। किसानों का कहना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री हर जगह भावंतर योजना के गुणगान कर रहे हैं पर हमारे आदिवासी अंचल के किसानों को मालूम ही नहीं है की यह योजना क्या है।
कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को ना तो जानकारी देते है और ना की मंडी मे अधिकारी और व्यापारी फसल को खरीदने आ रहे है।इस पूरे मामले पर किसानों ने 5 सूत्रीय मांगों को लेकर रणनीति बनाते हुए आगामी समय पर 2 लाख किसानों के साथ आंदोलन करने की चेतावनी दी है।