
जब नहीं दिखा कोई दूसरा रास्ता
इलाहाबाद की इस घटना ने योगी सरकार के दावों पर कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। मध्य प्रदेश के रीवा जिले का रहने वाला नचकू नाम का युवक इलाहाबाद के करछना इलाके में पिछले कुछ महीनो से मजदूरी करता था। वह पत्नी और बीमार सास को लेकर करछना इलाके में ही रहता था। 65साल की बुजुर्ग सास कैंसर की बीमारी से पीड़ित थीं और इन दिनों उठने बैठने में भी लाचार थीं। 21नवम्बर को नचकू अपनी बीमार सास का इलाज कराने के लिए पत्नी के साथ टेम्पो पर बैठकर उन्हें अस्पताल ले जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उनकी सांस थम गई। मौत के बाद टेम्पो वाले ने उन्हें उतार दिया।
नचकू और उसकी पत्नी ने लाश अपने पैतृक स्थान रीवा ले जाने के लिए नजदीक के सरकारी अस्पताल से एम्बुलेंस की मदद मांगी तो वहां से उन्हें वापस कर दिया गया। प्राइवेट एम्बुलेंस वालों ने दो से ढाई हजार रुपए मांगे जो नचकू और उसकी पत्नी की हैसियत के बाहर थे।
कई घंटे बाद भी कोई एम्बुलेंस व दूसरा वाहन नहीं मिला तो नचकू ने ऐसा फैसला किया, जिसे सुनकर किसी के भी पैरों तले ज़मीन खिसक सकती है। गरीब नचकू ने अपनी सास की लाश को एक चादर में बांधा और गठरी को एक लाठी में फंसा दिया। बैलेंस बनाने के लिए उसने दूसरी तरफ कुछ पत्थर व कपड़े दूसरी चादर में बांध दिए। इसके बाद वह कलयुग का श्रवण कुमार बन सिस्टम के मुंह पर तमाचा मारते हुए पत्नी के साथ पैदल ही आगे बढ़ने लगा।
8 घंटे और 40 किलोमीटर का सफर
8 घंटे में तकरीबन चालीस घंटे का सफर तय करते हुए जब नचकू और उसकी पत्नी रोते हुए आगे बढ़ने लगे तो सड़क किनारे खड़े लोगों ने उसे रोककर बात की। नचकू की हकीकत जानकर लोगों के होश उड़ गए। इलाके के लोगों ने फ़ौरन एसडीएम व पुलिस को खबर की। शंकरगढ़ के एसएचओ अमित मिश्र ने मौके पर पहुंचकर एक प्राइवेट एम्बुलेंस का इंतजाम कराया और उसका किराया खुद अपने पैसे व चंदे से अदा किया। लोगों ने कुछ चंदा इकठ्ठा कर नचकू व उसकी पत्नी को दिया।
इस मामले में गरीब मजदूर को मदद मुहैया कराने वाले शंकरगढ़ थाने के एसएचओ अमित मिश्र ने खुद भी एम्बुलेंस व्यवस्था पर सवाल उठाए तो वहीं जिले के डीएम सुहास एल वाई ने इस बारे में कोई जानकारी होने से भी इंकार किया। उन्होंने इसे अफसोसजनक घटना करार दिया और जांच कराने की बात कही। वहीं सूबे के स्वास्थ्य मंत्री और योगी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा है कि अगर इस मामले में सरकारी सिस्टम से एप्रोच किया गया और फिर भी मदद नहीं मिली तो यह गंभीर मामला है और इसमें ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।