जिस अफीम नीति के लिए मंदसौर में गोलियां चलीं, मोदी ने वह नीति ही बदल दी

कमलेश सारडा/नीमच। पिछले दिनों किसान आंदोलन पूरे मध्यप्रदेश में दिखाई दिया परंतु किसानों की अपनी अलग अलग मांगें थीं। कहीं कर्जमाफी तो कहीं बैंकों में नगदी की कमी के कारण प्रदर्शन हो रहे थे। इसी दौरान मालवा और मेवाड़ में किसान उग्र हो रहे थे। मंदसौर में आंदोलन हिंसक हुआ और पुलिस ने गोलियां चलाईं। इसमें किसानों की मौतें भी हुईं। इस क्षेत्र का किसान अफीम नीति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा था। वो बर्बादी के कगार पर आ गया था, इसीलिए वो हिंसक था। अंतत: मोदी सरकार ने उस अफीम नीति को बदल दिया। बता दें कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। 

सरकार ने फैसला लिया है कि मॉर्फिन परसेंटेज के बजाए औसत के आधार पर ही नये पट्टे दिए जाएंगे। अफीम से मार्फिन नामक पदार्थ निकलता है, जिसे विदेशों में निर्यात किया जाता है। यह कई बीमारियों की दवाइयां बनाने के काम आता है। केंद्र सरकार ने दिवाली के एक दिन बाद नयी अफीम नीति का ऐलान किया था। इस नीति के तहत मॉर्फिन परसेंटेज के आधार पर पट्टे दिए जाने थे। मॉर्फिन परसेंटेज का आशय यह होता है कि एक हेक्टेयर की अफीम की फसल में 5.9 फीसदी मॉर्फिन निकलना जरूरी है। 

गत वर्ष दी गई अफीम में से जिस उत्पादक की अफीम में 5.9 प्रतिशत मॉर्फिन पाया जाएगा, उसे ही पट्टा दिया जाएगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो पट्टा निरस्त कर दिया जाएगा। इस नीति से मध्य प्रदेश के मालवा और राजस्थान के मेवाड़ में करीब 17 हजार किसान अफीम की खेती के लिए अपात्र घोषित हो जाते। ऐसे में नयी नीति को लेकर किसानों में काफी आक्रोश था। किसानों की नाराजगी को देखते हुए नयी दिल्ली में बुधवार देर शाम वित्त मंत्रालय के आपात बैठक बुलाई गई। इस बैठक में अहम फैसला लिया गया कि अब मॉर्फिन परसेंटेज के बजाए औसत के आधार पर पट्टे दिए जाएंगे।

केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद मालवा और मेवाड़ में एक बार फिर दिवाली जैसा नजारा देखने को मिल रहा है। खासतौर पर किसान आंदोलन के बाद से ही यहां के किसान सरकार से नाराज चल रहे थे। ऐसे में अफीम नीति में बदलाव के बाद पहली बार किसानों के चेहरे पर खुशियां दिखाई दे रही हैं।

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