शनि महराज जब किसी राशी पर से भ्रमण करते है तब जिस राशि पर वे हॆ उस पर मध्य काल उसकी आगे वाली राशि पर पहला ढैया तथा उसकी पीछॆ वाली राशि पर आखरी ढाई बर्ष होते है। कुल मिलाकर साडेसात वर्ष हो गये। जैसे वर्तमान मे शनि महाराज धनु राशि मे स्थित हैं। इस समय धनु राशि वालों को शनि महाराज का मध्य काल चल रहा है। इसके आगे वाली राशि मकर है। उनको साडेसाति का पहला ढाई वर्ष चल रहा है तथा वृश्चिक राशी पर आखरी ढाई वर्ष है। साडे साती हमेशा ही तकलीफ़देह नही होती ये सभी जीवों को उनके कर्मों का दंड देती है।
जो लोग चरित्रवान मेहनती तथा ईमानदार होती है उन्हे शनि महाराज कोई कष्ट नही देते बल्कि उनके उपरोक्त गुणों से प्रसन्न होकर उनपर कृपा भी करते हैं। जब शनि महाराज कष्ट देते है तो जातक बिना मतलब के आरोपों से घिर जाता है। कोर्ट कचहरी अस्पताल के चक्कर पे चक्कर लगते हैं। आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाती है। कर्ज चढ़ जाता हैं। दुर्घटना, आकस्मिक नुकसान भी होता है। बेकार की बदनामी होती हैं। उपरोक्त सारी स्थिति शनि की साडेसाति का परिणाम होता हैं आपके कुण्डली मे शनि की उत्तम स्थिती साडेसाती मे लोकप्रियता तथा इज्ज़त की वृद्धि करवाती है अशुभ महादशा मे साडेसाति के अशुभ परिणाम मिलती है।
शनि की ये स्थिति भी है कष्टकारी
राशि से चौथे स्थान मे शनि का भ्रमण ढैया कहलाता है ये भी कष्टकारी होता है वर्तमान मे कन्या राशि वालों को यह ढय्या चल रहा है।
राशी से आठवें स्थान से शनि का भ्रमण अढैया कहलाता है वर्तमान मे वृषभ राशि वाले इस प्रभाव मे है।
आपकी जन्मकुंडली मे शनि महादशा मे सूर्य का अंतर कष्टकारी होता है। कुंडली मे सूर्य जिस राशि पर बैठा है। उस राशि पर से शनि का भ्रमण कष्टकारी होता है। जैसे अभी शनि महाराज धनु राशि मे जा रहे है तथा जिनका सूर्य धनु राशि पर ही विद्यमान है या जिनका जन्म 15 दिसम्बर से 15 जनवरी के बीच हुआ है उन्हे भी शनि महाराज कष्ट दे रहे है।
शनि की शांति के लिए क्या करें
पीपल की सेवा से शनि महाराज प्रसन्न होते है.
रामायण के पाठ से शनि महाराज प्रसन्न होते है.
हनुमानजी की सेवा से शनि कष्ट नही देते पर ध्यान रहे ब्रह्चय व्रत से हनुमानजी प्रसन्न होते हॆ। अतः आपको परस्त्री सम्बन्धों के विषय मे ख़याल भी नही आना चाहिये।
प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
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