ये है भारत के ताकतवर T-90S TANK की असलियत, एक का फैन बेल्ट टूट गया दूसरे का इंजन आइल लीक हो गया

नई दिल्ली। भारत इन दिनों चीन के सामने युद्ध की तैयारी कर रहा है। भारत का हर नागरिक इस युद्ध के लिए तैयार है। हंसते हंसते प्राण न्यौछावर करने के लिए भी तैयार है और भारत के सवा सौ करोड़ नागरिक आत्मविश्वास से भरे हुए हैं कि इस बार चीन को सबक सिखाकर रहेंगे परंतु भारतीय सेना का एक अहम हथियार टी-90एस टैंक का प्रदर्शन लोगों को निराश करने वाला है। यह सेना के प्रबंधन पर भी सवाल लगा रहा है। विश्वस्तरीय प्रतियोगिता के लिए भेजा गया टी-90एस टैंक की प्रतियोगिता के दौरान फैन बेल्ट टूट गई। इसके बाद रिजर्व टैंक को रेस में भेजा गया लेकिन सिर्फ दो किलोमीटर की दौड़ के बाद ही इसका पूरा इंजन ऑइल लीक हो गया। भारत एक ऐसी प्रतियोगिता से बाहर हो गया जिसमें चीन भी शामिल था और वो फाइनल में चला गया। यदि यह क्रिकेट या दूसरा कोई खेल होता तो कोई फर्क नहीं पड़ता परंतु यह दुनिया के कई देशों के टेंकों की क्षमताओं को नापने वाली विश्वस्तरीय प्रतियोगिता थी। 

रूस की राजधानी मॉस्को स्थित अलाबीनो रेंज में चल रहे अंतरराष्ट्रीय टैंक बैथलॉन 2017 से भारत बाहर हो गया। भारत इन खेलों में दो टी-90 एस टैंक के साथ शामिल हुआ था लेकिन इन दोनों ही टैंकों में तकनीकी खामी आ गई जिसके चलते भारतीय सेना इस प्रतियोगिता से बाहर हो गई। रूस में निर्मित टी-90एस टैंकों को काफी मजबूत और सक्षम माना जाता है लेकिन इन टैंकों में मशीनी खराबी आ गई। वहीं रूस, चीन, बेलारूस और कजाखस्तान के युद्धक वाहन फाइनल में पहुंच गए। 

सूत्रों का कहना है कि मेन और रिजर्व टी-90एस टैंकों को भारत से रूस में आयोजित हो रही इंटरनैशनल आर्मी गेम्स के टैंक बैथलॉन के लिए भेजा गया था। इन टैंकों में इंजन प्रॉब्लम आने से प्रतियोगिता से बाहर हो गए। इन टैंकों से शुरुआती राउंड में शानदार प्रदर्शन किया था। 

एक अधिकारी ने कहा, 'पहले टैंक की फैन बेल्ट टूट गई। इसके बाद रिजर्व टैंक को रेस में भेजा गया लेकिन सिर्फ दो किलोमीटर की दौड़ के बाद ही इसका पूरा इंजन ऑइल लीक हो गया। यह टैंक रेस पूरी ही नहीं कर पाया। बदकिस्मती से भारतीय टीम डिस्क्वॉलिफाइ हो गई।' 

चीन इस प्रतियोगिता में टाइप-96बी टैंकों से साथ उतरा है। इस टैंक में दौड़ते समय भी दुश्मन के टैंक पर मशीन गनों से फायर करने और अन्य कई खूबियां हैं। वहीं रूस और कजाखस्तान टी-72बी3 टैंकों के साथ इस प्रतियोगिता में उतरे। वहीं बेलारूस के पास टी-72 टैंकों का आधुनिक रूप है। ये चारों देश अब फाइनल में भिड़ेंगे। 

टी-90एस भारतीय सेना के युद्ध कार्यक्रम का अहम हिस्सा हैं। भारतीय सेना के पास 63 हथियारबंद रेजिमेंट्स हैं और इनके पास करीब 800 टी-90एस, 124 अर्जुन और 2400 पुराने टी-72 टैंक हैं। पहले 657 टी-90एस टैंकों के आयात के बाद, भारत में रूसी किट्स के साथ 1000 टैंकों का निर्माण किया जा रहा है। पिछले साल नवंबर में रक्षा मंत्रालय ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड से 13448 करोड़ रुपये में 464 टी-90एस टैंकों की खरीद की अनुमति दी है। इसके अलावा 536 टैंकों की खरीद की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है। 

डीआरडीओ इस बात को लेकर नाराज है कि सेना ने अभी तक अर्जुन मार्कII का ऑर्डर नहीं दिया है। डीआरडीओ का कहना है कि मार्कII ने 2010 में हुए प्रतिस्पर्धी ट्रायल में टी-90एस टैंकों से बेहतर प्रदर्शन किया था। 

सेना का तर्क है कि 62-टन वजनी टैंक अर्जुन का वजन और चौड़ाई ज्यादा है। इसकी ऑपरेशनल मोबिलिटी भी खराब है। सेना ने फ्यूचर रेजी कॉम्बेट वीइकल (एफआरसीवी) की तलाश भी शुरू कर दी है। 
If you have any question, do a Google search

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!