MPMC चुनाव: सिंधिया, भूरिया, अरुण यादव फेल, कमलनाथ टॉपर

उपदेश अवस्थी/भोपाल। मध्यप्रदेश नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस को सराहनीय सफलता मिली है 2012 में जिन कांग्रेस के पास जहां 9 अध्यक्ष थे, इस बार 15 आ गए लेकिन इन परिणामों ने कांग्रेसी दिग्गजों की पोल खोलकर रख दी। मप्र में सीएम कैंडिडेटशिप मांग रहे सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के खाते में 00 अंक दर्ज हुए। पूर्वमंत्री एवं सांसद कांतिलाल भूरिया 8 में से केवल 2 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को जिता पाए लेकिन छिंदवाड़ा सांसद कमलनाथ का जादू साफ साफ दिखाई दिया। उनके ज्यादातर समर्थकों ने जीत हासिल की। 

टिकट दिलाकर भूल गए थे सिंधिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-मुरैना में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रत्याशियों को टिकट तो दिलाए लेकिन उन्हे जिता नहीं पाए। भाजपा की ओर से मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा और खुद सीएम शिवराज सिंह ने सिंधिया के इलाके में ताकत झोंकी बावजूद इसके सिंधिया ने इसे चुनौती के रूप में नहीं लिया और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। 

8 में से 2 सीटें जिता पाए कांतिलाल भूरिया
भाजपा की पूरी ताकत झोंक देने के बावजूद लोकसभा चुनाव जीते कांतिलाल भूरिया अपने प्रभाव वाले झाबुआ-अलीराजपुर में कांग्रेस 8 में से 2 सीटों पर ही कामयाब दिला पाए। लोग इस परिणाम को झाबुआ-अलीराजपुर में कांतिलाल भूरिया की घटती लोकप्रियता से जोड़कर देख रहे हैं। कांग्रेस के आदिवासी नेता कांतिलाल पूर्व केंद्रीय मंत्री के अलावा मप्र के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 

अरुण यादव के 16 हार गए
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव हाईकमान के सामने पूरे मध्यप्रदेश की कांग्रेस का चिट्ठा खोलते हैं। कई बार वो कांग्रेस की हार का कारण दिग्गजों की गुटबाजी बता चुके हैं परंतु इस चुनाव में वो अपने खास करीबी 16 उम्मीदवारों में से 1 को भी जिताने में सफल नहीं हो पाए। इस चुनाव में अरुण यादव को किसी दिग्गज की गुटबाजी का सामना नहीं करना पड़ा। यह अवसर था जब वो अपने क्षेत्र में अपनी लोकप्रियता साबित कर सकते थे परंतु नतीजों ने अरुण यादव को कुछ और ही साबित कर दिया। 

सिर्फ कमलनाथ का डंका बजा 
छिंदवाड़ा सांसद एवं पूर्व मंत्री कमलनाथ ने खुद को सीएम कैंडिडेटशिप की रेस से बाहर कर लिया है लेकिन अपने संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा के अलवा मंडला-डिंडौरी में इस बार कमलनाथ का डंका जोर से बजा। वो अपने समर्थकों को जिताने सफल रहे। 

कमलनाथ को धकेल कर टिकट छीन ले गए थे डागा, जिता नहीं पाए
बैतूल जिले में सांसद कमलनाथ को महत्व नहीं दिया गया। जबकि पीसीसी के कोषाध्यक्ष विनोद डागा के कहने पर टिकट बांटे गए नतीजतन सारनी, आठनेर चिचोली तीनों सीटें कांग्रेस हार गईं। यह जरूर रहा कि यहां कांग्रेस नेता और सारनी नपा के मौजूदा नेता प्रतिपक्ष महेंद्र भारती निर्दलीय के रूप में बागी होकर विजयी रहे। कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी प्रियंका बलराम तीसरे नंबर रही।

कमलनाथ समर्थक बागी हुआ फिर भी जीत गया
कांग्रेस के विजयी बागी उम्मीदवार सारणी के महेंद्र भारती, पंढुर्ना के प्रवीण पालीवाल और लखनादौन के जितेंद्र राय कमलनाथ के समर्थक माने जाते हैं। हालांकि की कमलनाथ को उनके गढ़ छिंदवाड़ा भाजपा ने एक झटका जरूर दिया हर्रई में अध्यक्ष पद पर भाजपा ने सफलता हासिल की ये सीट पहले कांग्रेस के पास थी।

विधायक लूट ले गए थे टिकट, जिता नहीं पाए 
नगरीय निकाय चुनाव में करीब आधा दर्जनों विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र में अपनी पसंद के प्रत्याशियों को टिकट दिलाया था। इनमें खरगोन भीकनगांव की झूमा सोलंकी, मंडला (बम्हनीबंजर, बिछिया और नैनपुर)के संजीव छोटेलाल उइके, डिंडौरी के ओमकार मरकाम, बालाघाट बैहर के संजय उइके, अनूपपुर कोतमा के मनोज अग्रवाल और डबरा की इमरती देवी शामिल हैं। इनमें से केवल संजय उइके बैहर में भाजपा की अध्यक्ष वाली नगर परिषद पर कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने में सफल रहे।

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