
डबास ने मुख्य सचिव को भेजे पत्र में कहा है कि जब सोशल मीडिया पर स्वच्छता अभियान पर सवाल खड़े करने वाली आईएएस अफसर दीपाली रस्तोगी और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर लिखने वाले अजय गंगवार को शोकाज नोटिस का जवाब लेकर छोड़ दिया गया तो फिर मेरे जुर्म इतना बड़ा नहीं है कि विभागीय जांच की जाए।
मुख्य वनसंरक्षक अनुसंधान एवं विस्तार सागर रहते हुए डबास ने करीब 70 कर्मचारियों की एसीआर लिखी थी। डबास इनमें से कुछ कर्मचारियों की जांच कराना चाहते थे। मामले में विभाग ने कर्मचारियों पर सख्ती दिखाने की बजाय डबास के खिलाफ देरी से एसीआर लिखने की जांच शुरू कर दी है।
ऐसे ही मार्च 2016 में वन बल प्रमुख के चयन को लेकर डबास ने शासन को पत्र लिखा था। जिसमें जंगलों की सुरक्षा में सक्षम अफसर को चुनने का अनुरोध था। डबास के बगावती तेवरों से नाराज अफसरों ने दोनों ही मामलों में पहले नोटिस दिया और फिर उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी है। जांच पीसीसीएफ अनुसंधान एवं विस्तार/लोक वानिकी शाहबाज अहमद को सौंपी गई है।
किसी कमिश्नर से जांच कराएं
डबास पीसीसीएफ अहमद से जांच कराने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने इस संबंध में मुख्य सचिव व विभाग के एसीएस को लिखी चिठ्ठी में कहा है कि अहमद दुर्भावना से जांच करेंगे। इसलिए किसी संभागायुक्त से जांच कराएं। वे कहते हैं कि ये मामले जांच करने लायक ही नहीं हैं।
अहमद से है पुरानी खुन्नस
डबास ने लिखा है कि अहमद कई मामलों में उनकी बेबाकी की वजह से दुर्भावना रखते हैं। दरअसल, डबास अहमद को पन्ना टाइगर रिजर्व में रहते हुए बाघों के संरक्षण में फेल कह चुके हैं। आईएफएस सतीश त्यागी की पदोन्न्ति के लिए अहमद छुट्टी पर गए थे। ये मामला भी डबास ने उठाया था। उनका आरोप है कि वे आईएफएस एसोसिएशन के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए खड़े हुए थे। इनमें भी अहमद ने दुर्भावना निकाली थी। इसलिए जांच में वे एक पक्षीय कार्रवाई करेंगे।