
मेरा नाम मुकेश पांडेय है। आईएएस 2012 बैच का ऑफिसर हूं, बिहार कैडर का। मेरा घर गुवाहाटी असम में पड़ता है। मेरे पिताजी का नाम सिद्धेश्वर पांडेय है और मेरी माता जी का नाम गीता पांडेय है। मेरे सास ससुर का नाम राकेश प्रसाद सिंह और पूनम सिंह है। मेरी वाइफ का नाम आयुषी शांडिल्य है। इन केस अगर आप ये मैसेज देख रहे तो ये मेरे सुसाइड और मेरे मौत के बाद का मैसेज है। मैं पहले से प्री रिकार्ड कर रहा हूं बक्सर के सर्किट हाउस में। यहीं पर मैंने डिसीजन लिया कि मैं दिल्ली में जाके अपने जीवन का अंत कर दूंगा।
ये डिसीजन मैंने इसलिए लिया क्योंकि मैं अपने जीवन से खुश नहीं हूं। मेरे वाइफ और मेरे माता पिता के बीच बहुत तनातनी है। हमेशा दोनों एक दूसरे से उलझते रहते हैं जिससे कि मेरा जीना दुश्वार हो गया है। दोनों की गलती नहीं है, दोनों ही अत्यधिक प्रेम करते हैं मुझसे। कभी कभी अति किसी चीज की एक आदमी को मजबूर कर देती है कि वो बहुत ही एक्सट्रीम स्टेप उठा ले। किसी भी चीज का अति होना अच्छी बात नहीं है। मेरी वाइफ मुझसे बहुत प्यार करती है। मेरी एक छोटी बच्ची भी है। मेरे पास अब कोई और ऑप्शन नहीं बचा है और वैसे भी अब मैं जीवन से तंग आ चुका हूं।
वो बहुत ही एग्रेसिव हैं मैं मीक और इंट्रोवर्ट
मैं सिंपल और पीस लविंग आदमी हूं। जब से मेरी शादी हुई है उसमें बहुत ही उथल पुथल चल रही है। हमेशा हमलोग किसी न किसी बात को लेकर झगड़ते रहते हैं। दोनों की पर्सनालिटी बिल्कुल अलग है। चॉक एंड चीज हैं हमलोग। वो बहुत ही एग्रेसिव और एक्स्ट्रोवर्ट हैं। मेरा बहुत ही मीक और इंट्रोवर्ट नेचर है। किसी भी चीज में हमारा मेल नहीं खाता है बावजूद हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।
ये जो मैं सुसाइड करने जा रहा हूं मैं अपनी मौत के लिए खुद को जिम्मेदार मानता हूं। मेरी जो पर्सनालिटी है मैंने जो जो चीजों अपने अंदर इनकलकेट की हैं, बचपन से इंट्रोवर्ट और खुले दिल के तौर पर नहीं किया है। मैं अपनी मर्जी से सुसाइड कर रहा हूं मेरे ऊपर किसी का दबाव नहीं है न ही कोई ऐसा काम किया गया है कि उनके ऊपर आरोप लगाऊं कि उन्होंने मुझे सुसाइड करने पर मजबूर कर दिया है। बेसिकली मैं खुद ही जिंदगी से फ्रस्ट्रेट हो चुका हूं। मुझे नहीं लगता है कि हम ह्यूमन कुछ ज्यादा कंट्रीब्यूट कर रहा हूं।
हम अपने को ज्यादा सेल्फ इंपोर्टेंस देते हैं कि हम ये कर रहे हैं वो कर रहे हैं। जब आप पूरे यूनिवर्स में अपने आप को इमेजिन कीजिएगा और जो यूनिवर्स की जर्नी रही है और उसमें कितने लोग आए और कितने लोग चले गए तो पता चलेगा कि हमारा जो एक्जिस्टेंस है उसका कोई मतलब नहीं है। हम नए नए जाल रोज बुनते रहते हैं और अपने आप को उलझाते रहते हैं और अपना मन बहलाते रहते हैं। वर्ना हमारा कोई इंपोर्टेंस नहीं है।
इसके बाद सुकून आएगा या क्या आएगा
मुझे ये बात अंदर से रियलाइज हुई है। पहले मैं सोच रहा था कि स्प्रिचुअलिज्म की तरफ मूव करूंगा और कहीं जाकर तप करूंगा। समाज सेवा करूंगा लेकिन मुझे लगा कि वह भी एक व्यर्थ चीज है। इससे अच्छा है कि आदमी अपना डेथ को इमरजेस करे और अपनी इहलीला को, इस फालतू के जीवन का अंत करे। जो भी इसके बाद सुकून आएगा या क्या आएगा किसी को पता नहीं है लेकिन जो आएगा, आदमी उसे फेस करेगा। लेकिन अब इस जीवन से मेरा मन भर गया है। मुझे अब बिल्कुल जीने की इच्छा नहीं रह गई है। इसलिए अब मैं स्ट्रीम स्टेप ले रहा हूं। एक कावर्डली स्टेप है मुझे भी पता है, स्केपिस्ट स्टेप है।
लेकिन मुझे लगता है कि इससे मेरे अंदर जो फीलिंग ही नहीं बची है जीने की तो फिर एक्जिस्टेंस का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इसलिए मैं यह स्टेप ले रहा हूं। जिनको ये वीडियो मिलता है मेरे मम्मी पापा, मेरे मदर इन लॉ, फादर इनलॉज, मेरे भैया का नंबर इस मोबाइल में दर्ज है। होम के नाम से है, डैड, मम्मा, पापा जी, राकेश भैया, आर यू माइ लाइफ, उत्कर्ष, वर्षा , रविशंकर शुक्ला। किसी को भी आप कॉल कर के बता दीजिएगा कि उसका बेटा मुकेश पांडेय अब इस दुनिया में नहीं रहा, दिल्ली में सुसाइड कर लिया है।
मैने यहां यही प्लान बनाया है, झूठ बोल के दिल्ली जाऊंगा और वहां सुसाइड कर लूंगा। जिसे भी ये मिलता है मेरे घरवालों को, मेरे परिजनों को, मेरे इनलॉज को, मेरी वाइफ को सबको इसकी सूचना दे दें। कृपया कर के ये सूचना दे दें।